क्या चीन की तरफ यूनुस का झुकाव है बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता की वजह? ढाका ने 'सच' पहचानने में की देर
बांग्लादेश में राजनीतिक हालात बेहद नाजुक हैं. देश में सैन्य शासन और आपातकाल लगाए जाने की अटकलें जोरों पर हैं. इन परिस्थितियों के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस बुधवार चीन के दौरे पर जा रहे हैं.
नई दिल्ली, 26 मार्च : बांग्लादेश में राजनीतिक हालात बेहद नाजुक हैं. देश में सैन्य शासन और आपातकाल लगाए जाने की अटकलें जोरों पर हैं. इन परिस्थितियों के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस बुधवार चीन के दौरे पर जा रहे हैं. बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से अंतरिम सरकार ने जहां चीन के प्रति नरम रुख दिखाया वहीं भारत से संबंध बिगाड़ने की हर संभव कोशिश की लेकिन ऐसा लगता है कि ढाका को अब अपनी गलती का एहसास हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस का इरादा पहले दिल्ली आने का था. उनकी तरफ से इसके लिए अनुरोध भी भेजा गया था लेकिन भारत सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद उन्होंने चीन जाने का फैसला किया.
अब ढाका को उम्मीद है कि 3 से 4 अप्रैल को बैंकॉक में आयोजित होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मुख्य सलाहाकर यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक हो सकती है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से इसके लिए अनुरोध भी किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन ने कहा कि हम बैठक के लिए पूरी तरह तैयार हैं और भारत की सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. यह भी पढ़ें : Pakistan: महरंग बलूच की गिरफ्तारी के खिलाफ बढ़ती नाराजगी, बीएनपी-एम का मार्च निकालने का ऐलान
बता दें पिछले अगस्त में तत्कालीन पीएम शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने लगा. नई दिल्ली ने इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा अंतरिम सरकार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए. हालांकि बांग्लादेश में कट्टरवादी ताकतें लगातार मजबूत हो रही हैं और अल्पसंख्यकों के लिए हालत अब भी बेहतर नहीं हुए हैं. विदेश मामलों में अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान और चीन से नजदीकियां बढ़ानी की पूरी कोशिश की जबकि भारत के साथ गहरे राजनयिक संबंधों की अनदेखी की.
देश में जमीनी स्तर पर अराजकता फैलने लगी है. अलग-अलग मांगों को लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों के विरोध में देशभर में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं वहीं कपड़ा मजदूर भी अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
राजनीतिक टकराव बढ़ रहा है. अगस्त 2024 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को हटाने के दौरान बांग्लादेश में विभिन्न राजनीतिक संगठनों की एकता में अब धीरे-धीरे दरारें बढ़ती जा रही हैं.
बांग्लादेश के नोआखली जिले में सोमवार रोत को दो दलों के बीच हिंसक झपड़ में कई लोग घायल हो गए. झड़प के कारण पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. तनाव कम करने और व्यवस्था बहाल करने के लिए पुलिस के साथ-साथ नौसेना और तटरक्षक बल के जवानों को तैनात किया गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना तब हुई सोमवार रात को नोआखली जिले के जहाजमारा बाजार में नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने रैलियां आयोजित कीं.
आर्थिक मोर्चे पर भी बांग्लादेश लड़खड़ा रहा है. देश में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में बड़ी रुकावट खड़ी हो गई है. इस मुश्किल को दूर करने के लिए सरकार भारी भरकम का कर्ज लेने की तैयारी में है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक डॉलर की कमी के कारण मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को अगले वित्त वर्ष में एलएनजी खरीद के लिए 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर - [42.70 अरब बांग्लादेशी टका के बराबर] - का ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
सैन्य शासन लगने की बढ़ती अटकलों को शांत करने की कोशिश में सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने सोमवार को अफवाहों को खारिज करते हुए धैर्य रखने की अपील की. ढाका छावनी में 'अधिकारी अभिभाषण' में देश भर से आए वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए जनरल वाकर ने सेना के समर्पण, पेशेवर रवैय की सराहना की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गलत सूचनाओं की वजह से ध्यान नहीं भटकना चाहिए.
ऐसे हालात में लगता है कि मोहम्मद यूनुस को अब सच्चाई का अहसास होने लगा है. अंतरिम सरकार को इन नाजुक परिस्थितियों में नई दिल्ली का साथ ज्यादा भरोसेमंद लग रहा है. भारत ने हर मुश्किल में बांग्लादेश की मदद की है यह इतिहास यूनुस जानते हैं शायद यही वजह है कि वह अब पीएम मोदी के साथ मुलाकात की कोशिशें कर रहे हैं.