आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है. इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव भारत ने 4 साल पहले मिलान में हुई अंतरराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अंतर सरकारी समूह की बैठक में दिया था. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में चाय के योगदान को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए भारत के इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने मुहर लगाते हुए 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का एलान किया.
दरअसल, भारत में चाय न केवल एक पेय है, बल्कि यह देश की संस्कृति का एक अंग भी है. घर आए मेहमानों का स्वागत चाय पिलाकर करना हमारी सभ्यता में शुमार है. भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में चाय पिलाने का रिवाज है. एक बढ़िया चाय का कप सुबह उठते ही मिल जाए तो शरीर तरोताजा हो जाता है और नया जोश, नई उमंग मिल जाती है. चाय पीने से हम तरोताजा तो महसूस करते ही हैं साथ ही आलस्य भाग जाता है. नई चुस्ती-फुर्ती आ जाती है.
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वहीं, अगर चीन की बात करें तो चाय चीनियों के रोजमर्रा के जीवन में सबसे अधिक जरूरत की चीजों में से एक है. चीन में चाय पीने का इतिहास लगभग 4 हजार सालों का है. चाय का महत्व इस बात से भी जाहिर हो जाता है कि चीनी लोगों के जीवन की जिन सात बुनियादी आवश्यकताओं की बात की जाती है, उनमें चाय भी एक है. चीन में मेहमानों को चाय पिलाने का रिवाज है. मेहमान और मेजबान अक्सर कमरे में बैठे हुए चाय पीते और बातचीत करते हुए देखे जा सकते हैं. चाय पीने के साथ-साथ बातचीत करने का एक अच्छा माहौल तैयार हो जाता है.