Yam Deepam 2023: क्या है यम दीपम और क्यों इसे छिपाकर प्रज्वलित करते हैं? जानें इस संदर्भ में पौराणिक कथा!

धन त्रयोदशी के दिन गत वर्ष प्रयोग किये हुए पुराने दीपक में चारों ओर बत्ती लगाएं. इसमें सरसों का तेल भर दें, इसके बाद इसे देर रात घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखकर निम्न मंत्रोच्चारण के साथ प्रज्वलित करें. और बिना पीछे देखें वापस आ जाएं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Yam Deepam 2023 Date and Significance: कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन घर के मुखिया द्वारा मृत्यु के देवता यमराज के लिए एक छोटा दीपक छिपा कर प्रज्वलित करने का विधान है. ऐसा करने से परिवार के किसी भी सदस्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. यह पारंपरिक दीपक घर के पिछवाड़े हिस्से में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जलाया जाता है. इस अनुष्ठान को ‘दीपम’ के नाम से जाना जाता हैं. सनातन धर्म के अनुसार भगवान यमराज का यह दीया सूर्यास्त के पश्चात जलाया जाता है. इस दिन इस घड़ी में दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से जातक के परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है.

इस मुहूर्त पर करें दीपम प्रज्वलित?

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 12.35 PM (10 नवंबर, 2023) से

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 01.57 PM (11 नवंबर, 2023)

यह दीपक देर रात प्रज्वलित करना चाहिए.

दीपम की विधि

धन त्रयोदशी के दिन गत वर्ष प्रयोग किये हुए पुराने दीपक में चारों ओर बत्ती लगाएं. इसमें सरसों का तेल भर दें, इसके बाद इसे देर रात घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखकर निम्न मंत्रोच्चारण के साथ प्रज्वलित करें. और बिना पीछे देखें वापस आ जाएं. कोशिश करें कि दीप प्रज्वलित करते समय आपको कोई देखे नहीं.

मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।

क्यों छिपाकर जलाते हैं दीपम?

परंपरानुसार यमराज के नाम दीप प्रज्वलित करते समय लोगों की नजरों से दूर रहना चाहिए. इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से घर-परिवार पर बुरी नजर नही लगती है. घर-परिवार के लोग बुरी नजर वालों एवं नकारातमक शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं, तथा आपकी आय में बन रहे अवरोध दूर होते हैं, लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.

दीपम की पौराणिक कथा

प्राचीनकाल में किसी राज्य में राजा हेम का शासन था. बड़ी मन्नत के बाद उन्हें पुत्र –रत्न प्राप्त हुआ. राजा ने राज्य के ज्योतिषाचार्य को पुत्र की कुंडली दिखाई. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विवाह के चौथे दिन पुत्र की अकाल मृत्यु होगी. राजा ने पुत्र को ऐसी जगह पर भेजा, जहां किसी लड़की का साया ना पड़े. लेकिन इसके बावजूद एक राजकुमारी पर राजकुमार का दिल आ गया. दोनों ने शादी कर ली. शादी के चौथे दिन यमदूत गए, तो व्याकुल हो राजकुमारी ने पूछा, -महाराज, कोई ऐसा उपाय बताएं, कि अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो. यमराज ने कहा, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को घर का मुखिया दक्षिण दिशा की ओर यमराज के नाम दीपक प्रज्वलित करेगा, वह सपरिवार अकाल मृत्यु के भय से मुक्त रहेगा. तभी से कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को दीपम प्रज्वलित की परंपरा जारी है.

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