विश्व रेबीज दिवस 2018:  कुत्ते का काटना हो सकता है जानलेवा, ऐसे करें अपना बचाव

रेबीज की वजह से हर साल भारत में तकरीबन 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है और 90 फीसदी मामलों में रेबीज के वायरस इंसानो के शरीर में कुत्तों के काटने से फैलते हैं.

विश्व रेबीज दिवस (Photo Credit: Flickr and Pixabay)

रेबीज के प्रति देश के लोगों में जन जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. इस दिन को फ्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के तौर पर भी मनाया जाता है, जिन्होंने पहली बार रेबीज का टीका विकसिक किया था. रेबीज की वजह से हर साल भारत में तकरीबन 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है और 90 फीसदी मामलों में रेबीज के वायरस इंसानो के शरीर में कुत्तों के काटने से फैलते हैं. इसके वायरस रेबीज पीड़ित कुत्ते या किसी अन्य जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव व खरोंच और लार के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं.

अगर किसी व्यक्ति को रेबीज से पीड़ित कुत्ते, बंदर, सियार या लोमडी ने काट लिया और समय पर पीड़ित व्यक्ति का इलाज नहीं किया गया तो उसकी जान भी जा सकती है, लेकिन समय पर इलाज और टीकाकरण की मदद से मरीज का जान बचाई जा सकती है.

क्या हैं इसके लक्षण?

अगर किसी व्यक्ति को रेबीज से संक्रमित कुत्ते या किसी अन्य जानवर ने काट लिया तो उसमें कुछ इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं.  यह भी पढ़ें: वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे: जानें गर्भनिरोध के कुछ आसान और कारगर तरीके

क्या करें?

रेबीज से संक्रमित कुत्ते या किसी अन्य जानवर के काटने पर लापरवाही भारी पड़ सकती है, इसलिए तुरंत इससे बचाव के उपाय करने चाहिए.

क्या न करें? 

बरतें ये सावधानी 

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