लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान महाराष्ट्र के विदर्भ में वोट डाले जाएंगे. विदर्भ की एक अहम सीट हैं वर्धा लोकसभा सीट (Wardha Loksabha Seat). इस सीट पर 11 अप्रैल को वोटिंग होगी. बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा सांसद रामदास तडस (Ramdas Tadas) को टिकट दिया हैं तो वहीं कांग्रेस ने चारुलता टोकस (Charulata Tokas) को मैदान में उतारा है. वहीं, मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने शैलेश कुमार अग्रवाल को टिकट दिया है. इन सभी उम्मीदवारों को प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी के धनराज वंजारी चुनौती दे रहे हैं.
बता दें कि महात्मा गांधी का मशहूर सेवाग्राम आश्रम वर्धा में ही हैं. यहां का अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं. सियासी एतेबार से भी यह सीट काफी अहम है.
इतिहास:
जब देश में पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे तो ये सीट मध्य प्रदेश में आती थी. शुरुआत में ये सीट कांग्रेस की सीट मानी जाती थी मगर 1991 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के रामचंद्र घांगारे ने ये सीट जीती थी. 1996 में इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी जीती थी मगर 1998 और 1999 में दुबारा कांग्रेस ने इस सीट को जीता. 2004 में बीजेपी के सुरेश वाघमारे इस सीट से जीते थे. 2009 में फिर एक बार कांग्रेस के दत्ता मेघे ने बाजी मारी थी मगर 2014 में मोदी लहर के चलते बीजेपी ने फिर इस सीट पर अपना कब्ज़ा जमाया था.
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विधानसभा क्षेत्र:
वर्धा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती है. ये सीटें हैं वर्धा, हिंगणघाट, देवली, धामणगांव रेलवे और मोर्शी. इनमें से तीन विधानसभा सीट वर्धा, हिंगणघाट और मोर्शी पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि देवली, आर्वी और धामणगांव रेलवे विधानसभा सीट कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं.
सूती वस्त्रों की कारखानों के लिए मशहूर इस क्षेत्र में इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है.