फ्रांस के वर्साय शहर में लगभग 50 देशों ने मिलकर एक स्वर में अंतरराष्ट्रीय मापन प्रणाली में परिवर्तन की अनुमति दे दी है. जी हां शुक्रवार को हुये इस निर्णय से वजन मापने की इकाई किलोग्राम और मापन की दूसरी इकाईयों की अब नई परिभाषाएं तय होने का मार्ग प्रशस्त हो गए हैं. इससे विभिन्न देशों के मध्य व्यापार और अन्य मानवीय कार्यों पर प्रभाव पड़ेगा. मतदान के बाद किलोग्राम और अन्य मुख्य मानक इकाईयों को दोबारा परिभाषित किया जायेगा. ये 20 मई से प्रभावी होगा. इन नई परिभाषाओं से हालांकि अधिकतर लोगों के जीवन पर कोई खास असर नहीं होगा और बाजारों में किलो के बाट वहीं रहेंगे.
पहले दुनिया भर के किलोग्राम का वजन तय करने के लिए सिलिंडर के आकार के एक 'बाट' का इस्तेमाल किया जाता था. यानी उसका वजन जितना होता था, उतना ही किलोग्राम का स्टैंडर्ड वजन होता था. यह सिलिंडर प्लैटिनियम और इरिडियम से बना था जिसे इंटरनैशनल प्रोटोकोल किलोग्राम के नाम से जाना जाता है और इसका उपनाम ले ग्रैंड के है. यह फ्रांस के सेवरे शहर की एक लैबरेटरी इंटरनैशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स ऐंड मीजर्स में रखा है. 30 या 40 साल में एक बार इस प्रोटोटाइप को निकाला जाता था. फिर दुनिया भर में वजन के लिए इस्तेमाल होने वाले किलोग्राम के बाट को लाकर इसके मुकाबले तौला जाता था.
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वर्साय में विश्व भर से एकत्र हुये सभी वैज्ञानिकों ने इस नए फैसले पर तालियां बजाईं और खुशी जाहिर की, यहां तक कि कुछ प्रतिनिधियों की आंखों में आंसू भी आ गये. इस कदम को मानवता के मापन और गुणन के विश्व में क्रांति के रूप में देखा जा रहा है. शुक्रवार को ही विद्युत मापन की इकाई ऐम्पियर, ताप मापने की इकाई कैल्विन और पदार्थ की मात्रा माप मोल की नई परिभाषाओं को भी अनुमोदन मिल गया है. वैश्विक रूप से स्वीकृत किलोग्राम की नई परिभाषा का बहुत बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था.