अभी और बढ़ सकती हैं सीएम ठाकरे की मुश्किलें, केंद्र ने अगर उठाया ये कदम को और होगा टेंशन की मुश्किले
महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकार जहां एक ओर 'वाजेगेट' के कारण दबाव में है, वहीं अब इस पर शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट से संबंधित गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है.
मुंबई/नई दिल्ली, 23 मार्च : महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी (MVA) सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकार जहां एक ओर 'वाजेगेट' के कारण दबाव में है, वहीं अब इस पर शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट (Transfer-posting racket) से संबंधित गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग रैकेट की सीबीआई जांच शुरू करा सकता है. अगर ऐसा होता है तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Transfer-posting racket) और उनके गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के लिए मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस रैकेट का खुलासा किया था. वह मंगलवार (आज) शाम नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय को राज्य में पोस्टिंग रैकेट से संबंधित संवेदनशील ऑडियो रिकॉडिर्ंग सौंपेंगे. फडणवीस ने कहा कि संबंधित आईपीएस अधिकारियों और रैकेट में शामिल शक्तिशाली लोगों की रिकॉडिर्ंग और नाम ठाकरे को पता थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने कार्रवाई करने के बजाय मामले में चुप्पी साध ली. सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि सीएम (उद्धव ठाकरे) ने इस रैकेट का खुलासा करने वाली इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला का तबादला कर दिया.
फडणवीस ने कहा, "मेरे पास संवेदनशील रिकॉडिर्ंग्स हैं, जो सत्ता में बैठे लोगों को सवालों के कठघरे में खड़ा करती हैं. लेकिन, मैं इसे जनता के साथ साझा नहीं करूंगा. मैं इन रिकॉडिर्ंग्स को केंद्रीय गृह सचिव को सौंप दूंगा." गौरतलब है कि कमिश्नर ऑफ स्टेट इंटेलिजेंस (सीओआई) रश्मि शुक्ला ने 25 अगस्त, 2020 को महाराष्ट्र के डीजीपी सुबोध कुमार जायसवाल को सूचित किया था कि मुंबई में राजनीतिक कनेक्शन वाले दलालों का एक नेटवर्क उभरा है. रश्मि शुक्ला के पत्र से पता चला है कि "वे मोटी रकम के बदले पुलिस अधिकारियों के लिए वांछित पोस्टिंग की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं." सीओआई ने दलालों के टेलीफोन नंबर सर्विलांस पर रखने के लिए संबंधित अधिकारियों से अनुमति मांगी थी. सीओआई ने फोन नंबरों की निगरानी की जानकारी डीजीपी को दी. सर्विलांस में जो बात सामने आई वह ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित आरोपों की तस्दीक कर रहे थे. यह भी पढ़ें :Corona Vaccine: कोविशिल्ड और कोवाक्सिन से नहीं ब्लड क्लॉट होने का कोई जोखिम- शीर्ष पैनल
सीओआई के पत्र में यह भी खुलासा किया गया कि उच्च रैंकिंग वाले कई आईपीएस अधिकारी मुंबई में सक्रिय सत्ता के दलालों के संपर्क में थे. सीलबंद कवर में टेलीफोनिक बातचीत के टेप भी डीजीपी को सौंप दिए गए. फडणवीस ने खुलासा किया कि डीजीपी ने ठाकरे को दलालों के नेटवर्क का खुलासा करते हुए पूरे टेप भेजे थे. फडणवीस ने कहा कि सीओआई को इस मामले में भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने की अनुमति देने के बजाय, मुख्यमंत्री ने देशमुख को ट्रांसक्रिप्शन के साथ रिपोर्ट भी भेज दी. सूत्रों ने कहा कि अगर ट्रांसफर और पोस्टिंग रैकेट की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी तो महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार को गंभीर परेशानी होगी क्योंकि इस मामले में सत्ता में बैठे शक्तिशाली लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधान के तहत कार्रवाई हो सकती है.