हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं आलोचना के मूर्धन्य हस्ताक्षर प्रोफेसर नामवर सिंह (Namvar Singh) का मंगलवार को निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नामवर सिंह का अंतिम संस्कार बुधवार तीन बजे लोधी रोड स्थित शमशान घाट में किया जाएगा. प्रोफेसर सिंह पिछले एक महीने से बीमार थे. वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) में भर्ती थे. नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर (वर्तमान में जिला चंदौली) में हुआ था. उन्होंने बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री ली. उन्होंने बीएचयू, सागर एवं जोधपुर विश्वविद्यालय और जेएनयू जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़ाया.
जनवरी में अचानक वो अपने रूम में गिर पड़े थे. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था. तबसे उनका इलाज वहीं चल रहा था. मंगलवार की रात 11.51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था, हालांकि उनके इलाज में कुछ सुधार हुआ था लेकिन वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए थे.
Hindi literary critic & author Professor Namvar Singh passed away at AIIMS Trauma Centre, Delhi at 11:51 pm, 19 February. pic.twitter.com/Z0e5xFu77V
— ANI (@ANI) February 19, 2019
उन्होंने अपनी जिंदगी के 65 से ज्यादा वर्ष हिंदी साहित्य को दिए. वो लोकसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन उसमें जीत हासिल नहीं कर पाए. उन्होंने समीक्षा, छायावाद और विचारधारा जैसी किताबें लिखीं हैं जो बेहद चर्चित है. इनके अलावा उनकी अन्य किताबें इतिहास और आलोचना, दूसरी परंपरा की खोज, कविता के नए प्रतिमान, कहानी नई कहानी, वाद विवाद संवाद काफी मशहूर हैं.