नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कहर के बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने निकासी के दावों को निपटाने के लिए एआई (Artificial Intelligence) टूल का उपयोग करना शुरू किया है. दरअसल कोविड-19 के कारण ईपीएफ निकासी काफी बढ़ गई है. जबकि ईपीएफओ के कार्यालय बहुत कम कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है. ऐसे में लोगों की जरूरतों को देखते हुए इस नए तरीके को अपनाया गया है.
प्रतिकूल परिस्थितियों को अवसर में बदलकर, ईपीएफओ ने अपनी पहली पूर्णत: स्वचालित दावा निपटान प्रणाली सिर्फ पांच दिनों के रिकॉर्ड समय में शुरु की है. इस प्रणाली के माध्यम से कोविड-19 अग्रिम निकासी के लगभग 54 प्रतिशत दावों का निपटारा स्वचालित तरीके से किया जा रहा है. इस प्रणाली से भविष्य में ईपीएफओं द्वारा दावों को काफी कम समय में निपटाए जाने की उम्मीद है. ईपीएफओ ने ‘लॉकडाउन’ के दौरान 52.62 लाख अंशधारकों के केवाईसी ब्योरा दुरूस्त किया
एआई टूल की मदद से ईपीएफओ प्रत्येक कार्यदिवस में करीब 270 करोड़ रुपए के 80,000 से अधिक दावों का निपटारा कर रहा है. लॉकडाउन के प्रतिबंधों के बावजूद ईपीएफओ ने अप्रैल और मई 2020 के दौरान 11,540 करोड़ रूपए के 36.02 लाख दावों का निपटारा किया इसमें से 4580 करोड़ रुपए के 15.54 लाख दावे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत कोविड-19 संकट के दौरान किए गए विशेष प्रावधान के तहत निपटाए गए.
कोविड-19 के कठिन समय में भविष्य निधि से अग्रिम निकासी की सुविधा से ईपीएफओ के सदस्यों, विशेष रूप से 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले सदस्यों को काफी मदद मिली. इसके तहत सदस्य अपने तीन महीने का मूल वेतन और मंहगाई भत्ता या ईपीएफ खाते में जमा राशि के 75 प्रतिशत तक में से जो भी कम हो निकाल सकते हैं. इससे कई कामगारों को समय पर बहुत राहत मिली है और वे कर्ज के जाल में फंसने से बच गए हैं.
लॉकडाउन अवधि के दौरान जिन सदस्यों के दावे निपटाए गए उनके वेतन श्रेणी के आकंड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि ऐसे कुल दावेदारों में से 74 प्रतिशत से अधिक 15,000 रुपये से कम वेतन पाने वाले लोग थे, जबकि 50000 रूपए से अधिक वेतन पाने वाले केवल 2 प्रतिशत लोगों ने अपने खातों से पैसे निकालने के लिए आवेदन किया. कुल निपटाए गए दावों में से 24 प्रतिशत ऐसे लोगों के थे, जिनका मासिक वेनत 15000 रुपए से 50000 रुपए के बीच है.