नई दिल्ली: अगर आप भी रिम्बर्समेंट (Reimbursement) के लिए फर्जी बिल (Fake Bill) का सहारा लेते है तो सावधान हो जाईयें. ऐसा करने वाले लोगों से आयकर विभाग (Income Tax Department) पूछताछ कर सकता है और टैक्स नोटिस जारी कर सकता है. दरअसल अपने आय विवरणों में खासकर नौकरीपेशा करदाता फेक बिलों (रिम्बर्समेंट) को इनकम टैक्स बचाने का जरिया बनाते है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक नया इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म कम्प्यूटर आधारित प्रोसेसिंग के जरिए ऐसे मामलों की पहचान करने में मदद करेगा. कुछ करदाता अपने फायदे के लिए विशेष रूप से मकान किराया भत्ता (HRA) और अवकाश यात्रा भत्ता (LTA) दावा करने के लिए अपने नियोक्ताओं को नकली बिल के साथ गलत जानकारी देते है. जिससे उनका टैक्स बच सके.
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आयकर विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि कुछ कर्मचारियों ने उसी शहर में एक घर के मालिक होने के बावजूद भी एचआरए का दावा करते है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आकलन वर्ष 2019-20 के लिए नया आईटीआर फॉर्म पेश किया है. इसमें ड्रॉप डाउन कॉलम दिया गया है, जिसमें करदाताओं को भत्तों को लेकर विशिष्ट जानकारी देनी पड़ेगी.
उधर, आगामी पूर्ण बजट 2019-20 में बेसिक आयकर छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये से ऊपर बढ़ने की उम्मीद कम है. वित्त मंत्रालय ने पहले ही ऐसे प्रावधान की घोषणा कर दी है जिसके तहत पांच लाख रुपये तक की सालाना कमाई करने वाले व्यक्ति आयकर की धारा 87-ए के अंतर्गत पूरी कर रियायत प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि पांच लाख रुपये सालाना आय कमाने वाले व्यक्ति को भले ही कोई आयकर अदा करने की जरूरत नहीं हो, लेकिन उसे रिटर्न दाखिल करना होगा.