नई दिल्ली, 24 दिसंबर : चुनावी जीत हार के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के लिए 2023 का वर्ष काफी फायदेमंद ही रहा है. भाजपा के लिए वर्ष 2023 की शुरुआत त्रिपुरा में सरकार वापसी से हुई और वर्ष का समापन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में सरकार गठन के साथ होने जा रहा है. हालांकि पार्टी को दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में अपनी सरकार गंवानी पड़ा और दक्षिण भारत के एक और राज्य तेलंगाना का नतीजा पार्टी की उम्मीदों के मुताबिक नहीं आया, लेकिन पार्टी के लिए सबसे अच्छी बात यह रही कि 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले भाजपा को राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे दो अहम राज्य कांग्रेस से छिनने में कामयाबी मिल गई.
चुनावी नजरिए से देखा जाए तो वर्ष 2023 के दूसरे महीने यानी फरवरी 2023 में पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों - मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में विधान सभा चुनाव हुए. त्रिपुरा में हुए विधान सभा चुनाव में कड़े मुकाबले में तमाम पूर्वानुमानों को धत्ता बताते हुए भाजपा ने लगातार दूसरी बार अपने दम पर बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई. 2018 के विधान सभा चुनाव में लेफ्ट फ्रंट की सरकार को अप्रत्याशित तरीके से हराते हुए भाजपा ने त्रिपुरा में पहली बार अपनी सरकार बनाई थी और 2023 में भी जनता पर अपनी पकड़ को साबित करते हुए लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर भाजपा ने सबको चौंका दिया. यह भी पढ़ें : Delhi Shocker: दिल्ली में स्कूल के बाहर झड़प में घायल हुए 17 वर्षीय छात्र की मौत
नागालैंड विधान सभा चुनाव में भी एनडीए गठबंधन को जीत हासिल हुई और भाजपा को उपमुख्यमंत्री का पद भी हासिल हुआ. वहीं मेघालय में चुनाव से पहले भाजपा ने सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी एनपीपी के मुख्यमंत्री कॉनरोड संगमा का साथ छोड़कर सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था. आंकड़ों के लिहाज से नतीजे भले ही भाजपा के मन-मुताबिक नहीं आए, लेकिन इससे पार्टी को अपना जनाधार बढ़ाने का मौका मिला. चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण भाजपा ने फिर से एनपीपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी. कॉनरोड संगमा फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने और भाजपा राज्य की गठबंधन सरकार में शामिल हुई और इस तरह से भाजपा ने वर्ष की शुरुआत में ही 3-0 की बढ़त बना ली. हालांकि इसके कुछ महीने बाद ही मई 2023 में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को दक्षिण भारत के अपने एकमात्र राज्य कर्नाटक को गंवाना पड़ गया. मई 2023 में कर्नाटक में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों हार का सामना कर राज्य की सत्ता से बाहर होना पड़ा.
वर्ष 2018 में कर्नाटक में 36.22 प्रतिशत मत के साथ भाजपा को राज्य की 224 सदस्यीय विधान सभा में 104 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. उसी भाजपा को 2023 में हुए विधान सभा चुनाव में भी 36 प्रतिशत वोट तो हासिल हुआ लेकिन उसे सिर्फ 66 सीटों पर ही जीत हासिल हो सकी और कांग्रेस ने 42.88 प्रतिशत वोट के साथ 135 सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया. हालांकि वर्ष 2023 का अंत आते-आते भाजपा ने कर्नाटक के एक राज्य के बदले कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे दो अहम और महत्वपूर्ण राज्यों को छीन लिया. नवंबर 2023 में हुए पांच राज्यों -- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को न केवल मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बचाने में कामयाबी हासिल हुई, बल्कि उसने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हरा कर सत्ता से बाहर कर दिया.
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधान सभा में पिछली बार के 109 सीटों की तुलना में इस बार 163 सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा ने सरकार बनाई तो वहीं छत्तीसगढ़ में 90 सदस्यीय विधान सभा में भाजपा को 54 और राजस्थान की 200 सदस्यीय विधान सभा में भाजपा को 115 सीटों पर शानदार जीत हासिल हुई. दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में भले ही नतीजे पार्टी की उम्मीदों के अनुसार नहीं आए, लेकिन राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ा. 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में राज्य में सिर्फ 1 सीट जीतने वाली भाजपा को वर्ष 2023 में 8 सीटों पर जीत हासिल हुई. मिजोरम में वर्ष 2018 में भाजपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी जबकि 2023 में पार्टी को दोगुनी यानी 2 सीटों पर जीत मिली.
भाजपा नेतृत्व के लिए वर्ष 2023 इस लिहाज से भी काफी अहम रहा कि उसे कई राज्यों में नए नेतृत्व या यूं कहें कि नए चेहरों को आगे लाने में कामयाबी मिली और वह भी बिना किसी बगावत के. राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया के पुरजोर दावे को नकारते हुए भाजपा ने भजनलाल शर्मा को और छत्तीसगढ़ में रमण सिंह की दावेदारी को किनारे करते हुए विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने में कामयाबी हासिल हुई. भाजपा आलाकमान को सबसे बड़ी कामयाबी मध्य प्रदेश में मिली जहां बिना किसी अवरोध के पार्टी ने सिटिंग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर 'यादव' सरनेम वाले ओबीसी नेता मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया.