7th Pay Commission: यहां सरकारी टीचरों की बल्ले-बल्ले, जल्द सैलरी में होगी बंपर बढ़ोतरी
पश्चिम बंगाल सरकार ने लंबे समय से शिक्षकों की मांग को पूरा करते हुए सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया है. इसी के साथ बंगाल उन गिने चुने राज्यों में शामिल हो गया है जहां यह लागू है. इसके लागू होने से राज्य सरकार को प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ेगा.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार ने लाखों शिक्षकों की मांग को पूरा करते हुए सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission) लागू कर दिया है. इसी के साथ बंगाल उन गिने चुने राज्यों में शामिल हो गया है जहां यह लागू है. इसके लागू होने से राज्य सरकार को प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ेगा.
सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों के अनुरूप यूजीसी का संशोधित वेतनमान पश्चिम बंगाल के स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों को दिया जाएगा. सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को इसका ऐलान करते हुए बताया कि 1 जनवरी, 2020 से यह प्रभावी होगा. इन केंद्रीय कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी का नहीं मिलेगा फायदा, मोदी सरकार जल्द कर सकती हैं ऐलान
इसका फायदा सरकारी महाविद्यालयों, सरकारी सहायताप्राप्त महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के साथ ही सभी स्कूली शिक्षकों को भी मिलेगा. इसके तहत सभी शिक्षकों को साल 2016 से 2019 तक की चार साल की अवधि के दौरान बढ़ी हुई 3 प्रतिशत सैलरी का भी फायदा दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि इसी साल सितंबर महीनें में पश्चिम बंगाल सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी. जबकि महंगाई भत्ते (डीए) को मूल वेतन और ग्रेड वेतन में विलय कर दिया गया. ग्रेच्युटी 6 लाख से बढाकर 12 लाख रुपये और आवास किराया भत्ता 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है. इस फैसले से राज्य के खजाने पर सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आने की उम्मीद है. यह एक जनवरी 2020 से प्रभावी होगा.