7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों को 7वीं सीपीसी के तहत इतना मिलता है HRA, जानें कैलकुलेशन का नियम
7th Pay Commission: 7वें वेतन आयोग (7th CPC) के तहत सैलरी पाने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को कई तरह के भत्ते मिलते है. इसी के तहत सरकारी कर्मचारियों को बेहतर जीवनयापन के लिए मकान भाड़ा भत्ता यानि हाउस रेंट अलाउएंस (एचआरए) दिया जाता है. हालांकि एचआरए (HRA) भी सैलरी का ही एक हिस्सा होता है.
7th Pay Commission Latest News: 7वें वेतन आयोग (7th CPC) के तहत सैलरी पाने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को कई तरह के भत्ते मिलते है. इसी के तहत सरकारी कर्मचारियों को बेहतर जीवनयापन के लिए मकान भाड़ा भत्ता यानि हाउस रेंट अलाउएंस (एचआरए) दिया जाता है. हालांकि एचआरए (HRA) भी सैलरी का ही एक हिस्सा होता है. केंद्र और राज्य सरकार अपने-अपने कर्मचारियों को उनके ग्रेड के अनुरूप एचआरए (House Rent Allowance) देती है. सबसे खास बात एचआरए के तहत मिलने वाली राशि पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. 7th Pay Commission: मोदी सरकार ने अगर इस मांग पर लगा दी मुहर, तो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में होगा बंपर इजाफा!
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक देशभर में कार्यरत केंद्रीय कर्मचारियों को एचआरए के तौर पर मूल वेतन का 8 से 24 फीसदी हिस्सा दिया जाता है. हालांकि यह आंकड़ा कर्मचारी किस स्थान पर ड्यूटी कर रहे है उस पर निर्भर करता है. जिस वजह से कई बार कर्मचारियों के मन में एचआरए को लेकर भ्रम रहता है.
देशभर में सातवां वेतनमान लागू होने के साथ ही एचआरए में संशोधन किया गया था. इसके अनुसार, प्रत्येक लेवल के कर्मचारी का वेतन उनके डीए और एचआरए में वृद्धि के साथ बढ़ता है. हालांकि एचआरए भी कर्मचारी के सैलरी का हिस्सा होता है, जो नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को उस शहर में रहने के लिए आवास लागत के तौर पर दिया जाता है.
आम तौर पर, एक्स श्रेणी शहरों में कार्यरत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अधिकतम उनके मूल वेतन का 24 प्रतिशत हाउस रेंट अलाउंस दिया जाता है. जबकि जेड श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 8 प्रतिशत तक बतौर एचआरए मिलता है, और वाई श्रेणी के शहरों में तैनात सरकार के कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 16 प्रतिशत एचआरए के रूप में मिलता है.
नियम के मुताबिक, 50 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर 'एक्स' कैटेगरी में आते हैं. वहीं 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर 'वाई' कैटेगरी में आते हैं और 5 लाख से कम आबादी वाले शहर 'जेड' कैटेगरी में आते हैं. तीनों श्रेणियों के लिए न्यूनतम एचआरए 5400 रुपये, 3600 रुपये और 1800 रुपये तय है.
गौरतलब है कि सातवें सीपीसी ने डीए के 50 एवं 100 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की स्थिति में एचआरए में संशोधन की सिफारिश की थी, हालांकि मोदी सरकार ने डीए के क्रमशः 25 एवं 50 फीसदी से ज्यादा होने की स्थिति में दरों में संशोधन करने का निर्णय लिया. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा 7 जुलाई 2017 को जारी एक आदेश में कहा गया है कि जब महंगाई भत्ता 25% से अधिक होगा, तो एचआरए अपने आप संशोधित हो जाएगा. वर्तमान में महंगाई भत्ता मूल वेतन के 34 फीसदी है. ऐसे में अब सवाल यह है कि केंद्र सरकार एचआरए में कब इजाफा करती है?