7th Pay Commission: यहां लाखों सरकारी कर्मचारियों की बढ़ सकती है सैलरी, केंद्रीय मंत्री ने की बड़ी घोषणा
कोविड-19 महामारी के कारण देशभर के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी प्रभावित हुई थी. केंद्र सरकार के आलावा कई राज्यों की सरकारों ने भी कोरोना संकट से निपटने के लिए अपने-अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती का ऐलान किया था.
7th CPC Latest News: कोविड-19 महामारी के कारण देशभर के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी प्रभावित हुई थी. केंद्र सरकार के आलावा कई राज्यों की सरकारों ने भी कोरोना संकट से निपटने के लिए अपने-अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती का ऐलान किया था. इस बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) के सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहद जरुरी खबर है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में ऐलान किया कि यदि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल की सत्ता में आती है तो वह राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग लागू करेगी. राज्य में अभी छठवां वेतनमान प्रभावी है. 7th Pay Commission: होली से पहले यहां सरकारी कर्मचारियों को मिला डबल गिफ्ट, सैलरी में होगी बंपर बढ़ोतरी
वर्तमान की पश्चिम बंगाल सरकार ने सितंबर 2019 को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी थी. नया वेतनमान पहली जनवरी 2020 से लागू किया गया. राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा (Amit Mitra) की मानें तो कुछ मामलों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कर्मचारियों के लिए पैनल द्वारा की गई सिफारिशों से अधिक बढ़ोतरी की. नए वेतनमानों का भुगतान भी बीते साल की जनवरी महीने से किया जा रहा है.
राज्य सरकार ने तब महंगाई भत्ते (डीए) को मूल वेतन और ग्रेड वेतन में विलय कर दिया था. यदि किसी कर्मचारी का छठे वेतन आयोग के लागू होने से पूर्व का मूल वेतन 100 रुपये था, तो वेतन पैनल की सिफारिशों के लागू होने के बाद वह 280.90 रुपये हो गया था. इसके लागू होने से सरकारी खजाने पर सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ बढ़ा.
हालांकि राज्य सरकार ने तब कोई एरियर नहीं दिया था. जबकि ग्रेच्युटी दोगुनी होकर 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये की गई थी. यह आयोग की सिफारिशों से 2 लाख रुपये अधिक थी. इसके साथ ही आवास किराया भत्ता को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया था, जबकि अनुशंसित राशि 10,500 रुपये ही थी.
छठे वेतन आयोग का गठन राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन के पुनर्गठन के लिए 2016 के विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले 27 नवंबर 2015 को किया गया था. प्रो अभिरूप सरकार की अध्यक्षता वाले पैनल को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. हालांकि बाद में इसे समय-समय पर विस्तार दिया गया और लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का इंतजार बढ़ता गया.