7th Pay Commission: इन लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका, कोरोना संकट की वजह से टला डीए

देश में कोराना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के बीच लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बुरी खबर आई. दरअसल केंद्र सरकार के बाद अब कई राज्य अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (डीए) को स्थगित कर रहे है.

रुपया (Photo Credits: Wikimedia Commons)

7th Pay Commission: देश में कोराना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के बीच लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बुरी खबर आई. दरअसल केंद्र सरकार के बाद अब कई राज्य अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (डीए) को स्थगित कर रहे है. इसी क्रम में शनिवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार ने राज्य के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) पर रोक लगा दी है.

सरकार ने डीए को स्थगित करने का फैसला इसलिए लिया, जिससे कोविड-19 महामारी से उत्पन्न संकट से निपटने में किसी तरह की आर्थिक बाधा नहीं आए. उत्तर प्रदेश सरकार ने डीए की तरह ही छह तरह के अन्य भत्ते भी स्थगित करने का फैसला लिया है. इसके तहत एक जनवरी 2020 से जून 2021 तक राज्य सरकार के कर्मचारियों को कोई भत्ता नहीं दिया जाएगा. राज्य सरकार के इस फैसले का असर प्रदेश के 21 लाख कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों पर पड़ेगा. जबकि सरकारी खजाने में करोड़ों रुपयों की बचत होगी. केंद्र सरकार ने लिया फैसला, जून 2021 तक मौजूदा स्तर पर ही रखा जाएगा महंगाई भत्त्ता

इससे पहले उत्तराखंड में भी तीन लाख से अधिक कर्मचारियों के महंगाई भत्ता पर रोक लगा दी गई. राज्य सरकार ने कर्मचारियों को 1 जनवरी, 2020 से देय महंगाई भत्ते और पेंशनभोगियों की महंगाई राहत की अतिरिक्त किस्त का भुगतान न करने का फैसला लिया.

वहीं, केंद्र सरकार ने अपने एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेशेंनभोगियों को दिये जाने वाले डीए को 30 जून 2021 तक मौजूदा स्तर पर ही रोक दिया है. केन्द्र और राज्य दोनों के इस फैसले पर अमल से कुल मिलाकर 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी और इससे उन्हें कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.

दरअसल कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को अतिरिक्त धन की आवश्यकता पड़ रही है. जबकि इस संकट की घड़ी में लॉकडाउन की वजह से सरकार के आय के स्रोत ठप पड़े है. ऐसे में सरकार को अपने खर्चो में कटौती करने के लिए कड़े कदम उठाने पड़ रहे है.

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