7th Pay Commission: मोदी सरकार ने अपने लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए किया खास इंतजाम, अब आसानी से पूरा होगा यह काम
रुपया (Photo Credits: PTI)

7TH CPC Latest News: मोदी सरकार ने अपने पूर्व कर्मचारियों की सहूलियत के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Dr Jitendra Singh) ने पेंशनभोगियों के लिए यूनिक फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की शुरुआत की है. जिसका मकसद रिटायर्ड और बुजुर्ग नागरिकों को आसानी से पेंशन (Pension) का लाभ पहुंचाना है. 7th Pay Commission: हर सरकारी कर्मचारी के लिए जरुरी खबर, अब बदलेगा छह दशक पुराना यह तरीका

केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अपने जीवन का प्रमाणपत्र देने के लिए फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी एक ऐतिहासिक और दूरगामी सुधार है, क्योंकि यह न केवल 68 लाख केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को बल्कि उन करोड़ों पेंशनभोगियों को भी सुविधा प्रदान करेगा जो इस विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर आते हैं जैसे- ईपीएफओ, राज्य सरकार के पेंशनभोगी आदि. उन्होंने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के लिए इस प्रकार की तकनीक का निर्माण करने और इसे संभव बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) को भी धन्यवाद दिया.

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमेशा से ही रिटायर्ड और पेंशनभोगियों सहित समाज के सभी वर्गों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' की वकालत की है, जो अपने सभी प्रकार के अनुभवों और अपने द्वारा प्रदान की गई लंबे वर्षों की सेवा के साथ राष्ट्र की संपत्ति हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन विभाग द्वारा कोरोना महामारी के दौरान भी तत्कालिक पेंशन/पारिवारिक पेंशन जारी करने की दिशा में कई प्रकार का सुधार किया गया है.

मंत्री ने कहा कि पेंशन विभाग द्वारा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, चाहे वह डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरुआत हो या भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में पेंशन मामलों को आगे बढ़ाने के लिए एक कुशल और सामान्य सॉफ्टवेयर “भविष्य" की शुरुआत हो. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक पीपीओ को जारी करने और डिजी लॉकर में इसे आगे बढ़ाने की कोशिश ईज ऑफ लिविंग और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है.

उल्लेखनीय है कि चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की मदद से पेंशनधारकों के जीवित होने की पुष्टि आसानी से की जा सकेगी. दरअसल, सभी पेंशनधारकों को साल के अंत में अपने जीवित होने का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है. इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही उन्हें आगे पेंशन जारी रखी जाती है. ऐसा नहीं करने पर सरकार उस पेंशनभोगी का पेंशन रोक देती थी.