पूर्वी लद्दाख में चीन की नापाक हरकतों को रोकने के लिए भारतीय सेना दीवार की तरह खड़ी है. इस दौरान चीन ने भारत पर दबाव बनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी, यहां तक कि युद्ध की धमकी वहां के ग्लोबल टाइम्स ने अपने आलेख में दे दिया था. लेकिन इन सभी चीनी गीदड़भभकियों को बावजूद भारत अपने जमीन के एक टुकड़ा चीन को देने को तैयार नहीं है. वहीं, अब चीन शांति का राग भी अलापा रहा है, वैसे भारत भी हिंसा पसंद नहीं करता है. लेकिन उन्हें पता है कि चीन अक्सर पीठ पीछे छुरा घोंपने का काम करता है. इसलिए भारत दोनों तरफ से तैयार है. इसी कड़ी में एक बार फिर से भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडर एक बार फिर सोमवार यानी आज मोल्दो में बैठक होने वाली है.
बता दें कि भारत और चीन की मोल्दो में बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस बैठक में दोनों देश सीमा विवाद पर, जिसमें विशेष तौर से पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील इलाके पर चर्चा करेंगे. वहीं, रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बार की बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल सदस्य के रूप में शामिल होंगे. जबकि प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वें कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे.
गौरतलब हो कि इससे पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच एक बार फिर भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग (Sun Weidong) की ओर से बयान जारी किया गया था. जिसमें उन्होंने भारत और चीन के रिश्तों में सुधार लाने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि दोनों देश आपसी सहमती और बातचीत के जरिए विवाद को संभाला जा सकता है.