तीन सितंबर भारत का पहला ‘निशाकाश अभयारण्य’ (नाइट स्काई सेन्चुएरी) अगले तीन महीनों के भीतर लद्दाख में स्थापित किया जाएगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को यह जानकारी दी. सिंह ने कहा कि प्रस्तावित निशाकाश अभयारण्य लद्दाख के हानले में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के तहत बनाया जाएगा और यह ‘ऑप्टिकल’, ‘इंफ्रा-रेड’ और ‘गामा-रे’ दूरबीन के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक होगा. यह भी पढ़ें: गुरुग्राम में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में युवक को न्यायिक हिरासत में भेजा
निशाकाश अभयारण्य वे संरक्षित क्षेत्र होते हैं, जिन्हें कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण से बचाकर रखा जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर के साथ यहां बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निशाकाश अभयारण्य स्थल में ऐसी गतिविधियों का प्रबंध होगा, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन एवं अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में मददगार होंगी।
सिंह ने कहा कि इस निशाकाश अभयारण्य के लिए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) ने एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
मंत्री ने कहा कि सभी हितधारक वैज्ञानिक अवलोकन एवं प्राकृतिक आकाशीय स्थिति के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाले अवांछित प्रकाश प्रदूषण और रोशनी से निशाकाश के संरक्षण की दिशा में मिलकर काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि हानले इस परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है, क्योंकि यह लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है, जहां साल भर साफ आसमान और शुष्क मौसम परिस्थितियां रहती हैं तथा मानवीय व्यवधान नहीं होता.
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