रेलवे के लिए गले की फांस बनी चंपी-मालिश की योजना, स्टार्ट-अप फर्म ने दी कोर्ट जाने की चेतावनी
भारतीय रेलवे के लिए 'सिर-पांव' मालिश वाली योजना वह मुश्किल बन गई हैं, जिसे न निगला जा सकता है और उगला जा सकता है. दरअसल मध्य प्रदेश के इंदौर से होकर जाने वाली 39 ट्रेनों के यात्रियों के लिए शुरू की जाने वाली 'सिर की चंपी और पैरों की मालिश' अमल में आने से पहले ही रद्द कर दी गई.
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railways) के लिए 'सिर-पांव' मालिश वाली योजना वह मुश्किल बन गई हैं, जिसे न निगला जा सकता है और उगला जा सकता है. दरअसल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) से होकर जाने वाली 39 ट्रेनों के यात्रियों के लिए शुरू की जाने वाली 'सिर की चंपी और पैरों की मालिश' अमल में आने से पहले ही रद्द कर दी गई. लेकिन अब इसका ठेका लेने वाली स्टार्ट-अप फर्म ने रेलवे के खिलाफ कोर्ट में जाने की चेतावनी दी है. फर्म का आरोप है कि रेलवे ने बिना कोई सूचना दिए यह योजना रद्द कर ठेका निरस्त किया है.
रेलवे ने यात्रियों की चंपी-मालिश करने के लिए स्टार्ट-अप फर्म कैलिप्सो को ठेका दिया हुआ है. स्थानीय फर्म के प्रमुख गौरव राणा ने कहा कि "इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों के सिर और पैरों की मालिश की सुविधा के परिचालन के लिये पश्चिम रेलवे ने उनकी फर्म को बाकायदा आशय पत्र जारी कर एक वर्ष के लिये ठेका दिया था. इसके तहत सभी तैयारियां भी शुरू कर दी गई थीं. लेकिन शनिवार को पश्चिम रेलवे ने हमें कोई औपचारिक सूचना दिये बगैर प्रस्ताव को आनन-फानन में वापस लेने का ऐलान कर दिया.”
26 वर्षीय गौरव के मुताबिक स्टार्ट-अप फर्म से करीब 30 लोग जुड़े हुए है. उन्होंने कहा, "कुछ लोगों द्वारा अचानक यह गलत बात फैलायी गई कि चलती ट्रेनों में मालिश सुविधा शुरू होने से खासकर महिला यात्रियों को असुविधा या असहजता होगी. हालांकि, पहले दिन से स्पष्ट था कि इस प्रस्तावित सेवा के तहत यात्रियों के पूरे शरीर की नहीं, बल्कि केवल सिर और पैरों की मालिश की जायेगी."
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राणा ने कहा, "प्रस्तावित मालिश सेवा से जुड़ी गलतफहमियों को दूर नहीं किया गया और हमारे स्टार्ट-अप की नवाचारी परियोजना की अचानक भ्रूण हत्या कर दी गई. इसलिए रेलवे को यह प्रस्ताव रद्द करने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए वरना हम मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे." साथ ही उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से उनके स्टार्ट-अप को बचाने की अपील की है.
गौरतलब हो कि मसाज की योजना को मंजूरी नई इनोवेटिव नॉन-फेयर रेवेन्यू आइडिया स्कीम (एनआईएनएफआरआईएस) पॉलिसी के तहत दी गई थी. मालिश सुविधा लेने के एवज में यात्री को 100 रुपये से 300 रुपये तक का भुगतान करना था. मालिश की अवधि 15 से 20 मिनट के बीच तय की गई थी, यात्रियों को यह सुविधा ट्रेनों में सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक मिलना तय था. उम्मीद जताई जा रही थी की जून के अंत तक यह सेवा 39 ट्रेनों में शुरू हो जाती.