चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने यह दवा एज्रीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स नाम के तहत बनाई थी. इस आईड्रॉप से आठ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है और तीन लोगों की जान जा चुकी है.अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन (सीडीसी) के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अमेरिकी सरकार ने एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित आईड्रॉप के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की है.
अमेरिकी के शीर्ष मेडिकल वॉचडॉग ने इस ड्रॉप में दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया होने की संभावना जताई है. सीडीसी चिंतित है कि भारत से आयातित आईड्रॉप्स में मिला दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया अमेरिका में पैर जमा सकता है.
आईड्रॉप से तीन की मौत
चेन्नई स्थित दवा कंपनी ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने यह आईड्रॉप्स बनाई है. अखबार ने बताया कि संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में पहले इस स्ट्रेन का पता नहीं चला था और मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इसका इलाज करना विशेष रूप से कठिन है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने (सीडीसी) के अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि इस आईड्रॉप के इस्तेमाल से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, दर्जनों लोग संक्रमण के शिकार हो गए और आठ लोगों ने आंखों की रोशनी गंवा दी.
आखिर कैसे आम मिलने वाली दवा जहरीली बन जाती है? आइए जानते हैं.
खतरनाक है बैक्टीरिया
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि संक्रमित आर्टिफिशियल टीयर्स के इस्तेमाल से आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आंखों की रोशनी जा सकती है या मौत भी हो सकती है.
स्यूडोमोनास एरुजिनोसा बैक्टीरिया खून, फेफड़ों या घावों में संक्रमण का कारण बन सकता है और रोगाणु एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण हाल के दिनों में इलाज के लिए कठिन साबित हो रहे हैं.
सीडीसी ने 21 मार्च को अपनी वेबसाइट पर लोगों को चेतावनी देते हुए लिखा कि "कोई भी रोगी जिसने एज्रीकेयर के आर्टिफिशियल टीयर्स का इस्तेमाल किया है और उनकी आंखों में संक्रमण के लक्षण हैं, उन्हें तत्काल मेडिकल देखभाल की जरूरत है.
रिपोर्टों के मुताबिक ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने फरवरी में अमेरिकी बाजार के लिए आईड्रॉप्स का उत्पादन बंद कर दिया था. कंपनी ने उन दवाओं को भी वापस मंगा लिया था जिनकी एक्सपायरी खत्म नहीं हुई थी.
इस बीच तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर ने कहा है कि चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा द्वारा निर्मित आईड्रॉप के नमूनों में "कोई विषाकता नहीं मिली है."
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल की निदेशक पीवी विजयलक्ष्मी ने कहा है कि चेन्नई संयंत्र द्वारा निर्मित आईड्रॉप के नमूनों में कोई विषाक्तता नहीं पाई गई है. विचाराधीन बैच सहित कई बैचों के नमूनों का विश्लेषण किया गया.
पिछले साल खांसी की दवाईबनाने वाली दो भारतीय दवा कंपनियों के बारे में भी ऐसे ही खुलासे हुए थे, जिससे गांबिया और उज्बेकिस्तान में दर्जनों बच्चों की मौत हो गई थी.
रिपोर्ट: आमिर अंसारी