भारतीय सेना ने पहले ओवरहॉल किए गए T-90 'भीष्म' टैंक को किया लॉन्च; आर्मी के ताकतवर बेड़े में नई जान
भारतीय सेना ने सोमवार को अपने पहले ओवरहॉल किए गए T-90 'भीष्म ' टैंक को लॉन्च किया. यह कदम सेना के बख़्तरबंद दस्तों की ऑपरेशनल तैयारियों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है.
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने सोमवार को अपने पहले ओवरहॉल किए गए T-90 'भीष्म ' टैंक को लॉन्च किया. यह कदम सेना के बख़्तरबंद दस्तों की ऑपरेशनल तैयारियों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है. अधिकारियों के अनुसार, यह ओवरहॉल प्रक्रिया टैंक को पूरी तरह से खोलकर नए सिरे से उसे फिर से तैयार करने से जुड़ी है.
T-90 'भीष्म ' टैंक का पुनर्निर्माण
इस ओवरहॉल प्रक्रिया में टैंक के 200 से अधिक हिस्सों और सब-असेंबलियों को खोलकर दोबारा से तैयार किया गया. इसे बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनिंग और तकनीकी सेटिंग्स का इस्तेमाल किया गया. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस ऐतिहासिक लॉन्चिंग समारोह का साक्षी बनाया.
T-90 टैंक रूस से लाइसेंस के तहत चेन्नई के पास अवडी में स्थित हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री (HVF) में बनाए जाते हैं. भारतीय सेना ने कुल 1,657 T-90 टैंकों का ऑर्डर दिया था, जिसमें से लगभग 1,300 टैंक फिलहाल सेवा में हैं. सेना अब पुराने टैंकों को ओवरहॉल कर रही है ताकि उनकी ताकत और कार्यक्षमता को बनाए रखा जा सके.
भीष्म टैंक का रोलआउट समारोह
भारतीय तकनीशियनों की सफलता
इस ओवरहॉल को दिल्ली कैंटोनमेंट में 505 आर्मी बेस वर्कशॉप के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) की टीम ने अंजाम दिया. इस प्रक्रिया में भारतीय तकनीशियनों ने अपनी तकनीकी कुशलता का प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने रूस से मिले उपकरणों और टेस्ट बेंच का उपयोग करके टैंक के सभी हिस्सों को स्वतंत्र रूप से फिर से तैयार किया और उनका परीक्षण किया. यह टैंक को किसी भी स्थिति में लड़ाई के लिए तैयार बनाता है और उसे एक नया जीवन प्रदान करता है.
देशी क्षमता का प्रदर्शन
यह सफलता भारतीय सेना के 'दशक परिवर्तन' के दौरान उनकी तकनीकी क्षमता को दर्शाती है. यह भारतीय रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमता के विकास का प्रमाण है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सेना के महत्वपूर्ण युद्ध उपकरणों को स्वदेशी स्तर पर मरम्मत और अपग्रेड किया जा सके.
लाइट टैंक 'ज़ोरावर' की सफलता
T-90 टैंक की ओवरहॉलिंग के अलावा, हाल ही में भारतीय सेना ने नए हल्के टैंक 'ज़ोरावर' का परीक्षण भी किया. यह टैंक विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में तेजी से तैनाती और उच्च गतिशीलता के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस 25-टन के टैंक को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
जोरावर टैंक का परीक्षण राजस्थान के बीकानेर के पास महाजन फायरिंग रेंज में किया गया था, और जल्द ही इसके मिसाइल परीक्षण भी किए जाएंगे. यह टैंक सेना की मांग को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है और 2027 तक सेवा में शामिल होने की उम्मीद है.