India or Bharat: संसद के विशेष सत्र को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. इस बार चर्चा का विषय है देश का नाम. माना जा रहा है कि सरकार इस विशेष सत्र में देश का अंग्रेजी नाम 'INDIA' हटाकर भारत किए जाने का प्रस्ताव रख सकती है. संसद के विशेष सत्र की आधिकारिक वजह अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन मंगलवार को देश का नाम भारत किए जाने को लेकर हर तरफ चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. बड़े-बड़े नेताओं के साथ खेल, सिनेमा सहित अन्य क्षेत्र के दिग्गज इस विषय पर बात कर रहे हैं. देश के नाम को India से भारत करने की मांग कई बार उठ चुकी है. लेकिन मंगलवार को अचानक हर तरफ इस बारे में बात होने लगी. President of Bharat: इंडिया नहीं, भारत के राष्ट्रपति; G20 में राष्ट्रपति का निमंत्रण किस बात का संकेत?
दरअसल हुआ यूं कि कांग्रेस ने दावा किया कि G20 समिट के डिनर के निमंत्रण पत्र में पारंपरिक President Of India की जगह President Of Bharat लिखा है. इसके साथ ही एक चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मोदी सरकार देश का नाम बदलने वाली है? विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र पर हमलावर है.
केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है. माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में सरकार 'इंडिया' शब्द हटाने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है.
संविधान में कौन सा नाम?
इंडिया और भारत देश के ये दोनों ही नाम संविधान में हैं. संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा." ध्यान दें कि संविधान का अनुच्छेद 1 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के आधिकारिक नामों के रूप में मान्यता देता है. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है, 'इंडिया दैट इज भारत'. इसका मतलब हुआ कि देश के दो नाम हैं. हम देश की सरकार को 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' भी कहते हैं और 'भारत सरकार' भी.
अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार 'इंडिया' को हटाकर 'भारत' को एकमात्र आधिकारिक नाम बनाने के लिए संविधान में संशोधन करने की योजना बना रही है?
सुप्रीम कोर्ट में पहले भी हो चुकी है देश के नाम को लेकर सुनवाई
मार्च 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर कड़ी आपत्ति जताते हुए 'इंडिया' से 'भारत' नाम बदलने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (जनहित याचिका) को खारिज कर दिया. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित ने याचिकाकर्ता से कहा कि ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा. “भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, भारत कहें. इंडिया कहना चाहते हैं इंडिया कहें."
चार साल बाद, 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इंडिया से भारत नाम बदलने की मांग वाली इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. उस समय कोर्ट ने सुझाव दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन में परिवर्तित किया जा सकता है और उचित निर्णय के लिए केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है.
उस समय तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा था, "भारत और इंडिया दोनों नाम संविधान में दिए गए हैं. भारत को संविधान में पहले से ही 'भारत' कहा जाता है.''
सरकार कैसे बदल सकती है नाम?
अगर सरकार इंडिया को हटाकर केवल 'भारत' को आधिकारिक नाम बनाने का निर्णय लेती है, तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करना होगा. अनुच्छेद-368 संविधान को संशोधन करने की अनुमति देता है. कुछ संशोधन साधारण बहुमत यानी 50 फीसदी बहुमत के आधार पर हो सकते हैं. तो कुछ संशोधन के लिए 66 फीसदी बहुमत यानी कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ती है. अनुच्छेद-1 में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार को कम से कम दो-तिहाई बहुमत (66 फीसदी) की जरूरत होगी.