India- China Border Tension: चीन के खिलाफ भारत सख्त, राजमार्ग परियोजनाओं की टेंडर में भाग नहीं ले पाएंगी चीनी कंपनियां
भारत-चीन -प्रतीकात्मक तस्वीर | (Photo Credits: IANS)

भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बीच केंद्र सरकार ने चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हाल में भारतीय यूजर्स के डेटा चोरी करने के इनपुट मिलने के बाद सरकार ने 59 चीनी एप को बैन कर दिया, वहीं अब आर्थिक स्तर पर कई कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.चीन को पहला झटका राजमार्ग परियोजनाओं में चीनी कंपनियों के भाग लेने पर रोक लगाकर दिया गया है। वहीं दूसरा बड़ा झटका दूरसंचार विभाग ने 4जी सेवाओं के अपग्रेडेशन के लिए चीनी उपकरण का इस्तेमाल पर रोक लगाकर दिया.

केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी बुधवार को बड़ा ऐलान किया. गडकरी ने कहा कि भारत में अब चीनी कंपनियों को राजमार्ग परियोजनाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी और इस फैसले के तहत संयुक्त उद्यम के माध्यम से शामिल कंपनियां भी हिस्सा नहीं ले पाएंगी. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा कि अगर कोई चाइनीज कंपनी जॉइंट वेंचर के रास्ते भी राजमार्ग परियोजना में एंट्री की कोशिश करेगी तो उसे भी रोक दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ( एमएसएमई) सेक्टर में भी चाइनीज इन्वेस्टर्स को एंटरटेन नहीं किया जाए. यह भी पढ़े: India- China Border Tension: चीन को पीएम मोदी का कड़ा सन्देश, सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म Weibo से अकाउंट को किया डिलीट

471 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किया था

बता दें कि गलवान घाटी की घटना के बाद #BoycottChina अभियान के तहत सबसे पहले इंडियन रेलवे ने बड़ा फैसला किया था। उसने चाइनीज कंपनी को मिले 471 करोड़ का अनुबंध निरस्त कर दिया था। रेलवे ने चीन की कंपनी बीजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल ऐंड कम्युनिकेशन लिमिटेड को दिए गए एक ठेके को कैंसल कर दिया था. यह घटना 18 जून की है.गलवान घाटी में 16 जून को हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.

क्या होगा अगर भारत आगे भी करता रहा चीन का बहिष्‍कार

जानकारों की मानें तो चीन की सबसे बड़ी ताकत ही आर्थिक वृद्धि दर है। कोरोना की वजह से पहले ही उसकी आर्थिक वृद्धि दर को आघात पहुंच चुका है। ऐसे में भारत समेत दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियां और विकास शील शक्तियां अगर चीन से अपनी मांग कम कर लेती हैं, तो चीन में सामाजिक अस्थिरता का माहौल बन सकता है। साथ ही उससे भारत के मार्केट पर निर्भरता बढ़ सकती है.

वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने 4जी सेवाओं के लिए जारी निविदा को अपग्रेडेशन के लिए रद्द कर दिया है.अब नई निविदा फिर से जारी की जाएगी, जिसमें 'मेक इन इंडिया' को प्रोत्साहन देने के प्रावधान होंगे। अपग्रेडेशन के लिए रद्द की गई निविदा की लागत 7,000-8,000 करोड़ रुपये है. अब नई निविदा में मेक इन इंडिया और भारतीय तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए नए प्रावधान होंगे.