नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा तनाव के बाद अब देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच हुए समझौतों के अनुसार इन संवेदनशील इलाकों में सैनिकों की तैनाती को समाप्त किया जा रहा है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त रूप से यह सत्यापित कर रही हैं कि दोनों पक्षों ने अपने-अपने निर्धारित स्थान खाली कर दिए हैं और वहां बनाए गए सैन्य ढांचे को हटाया जा चुका है.
इस सत्यापन प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दोनों पक्ष अपनी सहमति के अनुसार ही पीछे हट रहे हैं, जिससे भविष्य में किसी भी तरह का तनाव उत्पन्न न हो. यह घटनाक्रम भारत-चीन के संबंधों के लिहाज से अहम है, क्योंकि पूर्वी लद्दाख में तनाव के कारण दोनों देशों के संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा है.
सैनिकों की वापसी और सैन्य ढांचे को हटाने से दोनों पक्षों में आपसी विश्वास बढ़ेगा और भविष्य में सहयोग के रास्ते खुल सकते हैं. हालांकि, बफर जोनों में गश्त की बहाली को लेकर अभी भी चर्चा बाकी है
चार बफर जोनों पर कोई निर्णय नहीं
विशेष रूप से, गालवान घाटी सहित चार बफर जोन पर चर्चा अभी तक नहीं हुई है. सूत्रों के मुताबिक, इन क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने का निर्णय कोर कमांडर स्तर की बातचीत में लिया जाएगा. वर्तमान में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. इन क्षेत्रों में सफल गश्त के बाद ही बफर जोनों में गश्त को लेकर आगे की योजना बनाई जाएगी.
यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में 27 अक्टूबर को बयान दिया था कि भारत और चीन जल्द ही लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को पुनः शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच स्थिति को अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे.