भारत और चीन एलएसी पर सभी बकाया मुद्दों को हल करने पर सहमत

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ताजिकिस्‍तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक से अलग चीन के विदेश मंत्री वांग ई के साथ मुलाकात की. दोनों मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श किया और भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की.

वांग यी और एस जयशंकर (Photo: Twitter)

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ताजिकिस्‍तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक से अलग चीन के विदेश मंत्री वांग ई के साथ मुलाकात की. दोनों मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श किया और भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की.

पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति की वजह से द्विपक्षीय संबंधों पर असर

विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने बैठक के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पिछले वर्ष सितंबर में मास्को में सम्पन्न बैठक में बनी सहमति का जिक्र किया. उस बैठक में बनी सहमति के आधार पर विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में अग्रिम टुकड़ियों को पीछे हटाने का काम पूरी तरह सम्पन्न करने पर जोर दिया. उस बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-चीन दोनों सहमत थे कि मौजूदा स्थिति को लम्बे समय तक बनाए रखना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है. इससे द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.

वहीं सीमा पर पिछले वर्ष के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 1993 और वर्ष 1996 के समझौतों को नजरअंदाज कर यथा स्थिति में बदलाव करने की कोशिश की गई, जिसका द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ा. विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 1988 के बाद द्विपक्षीय संबंधों में विकास का आधार सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति का बरकरार रहना था.

द्विपक्षीय समझौतों और सहमतियों का हो पालन

जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह दोनों पक्षों के हित में है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रक रेखा पर बकाया मामलों को जल्द हल किया जाए. साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और सहमतियों का पालन किया जाए. दोनों विदेश मंत्रियों ने गत 25 जून को विचार-विमर्श और समन्वय संबंधी कार्यप्रणाली की बैठक के संदर्भ में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक जल्द आयोजित करने पर सहमति बनाई.

दोनों विदेश मंत्री इस बात पर भी सहमत थे कि सैन्य अधिकारियों की बैठक में बकाया मुद्दों पर चर्चा हो और आपसी रूप से स्वीकार्य समाधान खोजा जाए. दोनों विदेश मंत्री इस बात पर भी सहमत थे कि जमीनी स्तर पर स्थायित्व बनाये रखा जाए तथा कोई भी पक्ष ऐसी एकतरफा कार्यवाही न करे जिससे तनाव में वृद्धि हो. दोनों विदेश मंत्रियों ने आपसी संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई. यह भी पढ़े : भारत में पिछले साल कैंसर के करीब 62,000 नये मामलों के लिए शराब जिम्मेदार : अध्ययन

मॉस्को में हुए समझौते की भी दिलाई याद

बैठक के दौरान पिछले साल सितंबर में मॉस्‍को में हुई मुलाकात का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने उस समय तय हुए समझौते का पालन करने पर जोर दिया और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े सभी मुद्दों के समाधान तथा वहां से सेना को हटाने की जरूरत दोहराई. डॉ. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री को बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में पैंगोंग झील के आसपास से सेना हटाने के बाद बाकी मुद्दों को सुलझाने की अनुकूल परिस्थिति बनी है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए चीन, भारत के साथ मिलकर काम करेगा. डॉ. जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों पक्षों ने माना था कि मौजूदा स्थिति का लंबे समय तक चलना किसी भी देश के हित में नहीं है और इससे आपसी संबंधों में नकारात्मकता आती है. विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान दोनों देशों के हित में है और दोनों पक्षों को सभी द्विपक्षीय संधियों और शर्तों का पूरी तरह पालन करना चाहिए.

बता दें कि विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों और इस संगठन के अफगान संपर्क समूह की बैठकों में भाग लेने के लिए तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हैं. यहां चीन, पाकिस्तान और रूस विदेश मंत्री सहित सभी आठ देशों के विदेश मंत्री मौजूद हैं. विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय मुद्दों विशेषकर अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श किया.

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