आयकर विभाग ने प्रमुख व्यवसायिक समूह के देशभर में कई ठिकानों की तलाशी ली

आयकर विभाग (इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट)ने एक प्रमुख व्यापारिक समूह पर अखिल भारतीय तलाशी अभियान चलाया है, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार में शामिल है, जिसका सालाना कारोबार 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का है.

इनकम टैक्स (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली, 25 जुलाई : आयकर विभाग (इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट)ने एक प्रमुख व्यापारिक समूह पर अखिल भारतीय तलाशी अभियान चलाया है, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार में शामिल है, जिसका सालाना कारोबार 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत किए गए 22 जुलाई के ऑपरेशन में मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित नौ शहरों में फैले 20 आवासीय और 12 व्यावसायिक परिसर शामिल थे.

इस समूह में होल्डिंग और सहायक फर्मों सहित 100 से अधिक कंपनियां हैं. वित्त मंत्रालय के एक बयान में इस इकाई का नाम लिए बगैर कहा गया कि तलाशी के दौरान पता चला कि वे अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का संचालन कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल फर्जी खचरें की बुकिंग और फंड के रूटिंग के लिए किया गया है. रिपोटरें से संकेत मिलता है कि आयकर विभाग ने 22 जुलाई को कथित कर चोरी को लेकर देश भर में कई स्थानों पर मीडिया इकाई दैनिक भास्कर के कार्यालयों की तलाशी ली थी. उसी दिन उत्तर प्रदेश के एक न्यूज चैनल भारत समाचार के कार्यालय में भी छापे मारे गए थे. यह भी पढ़े :देश की खबरें | मीडिया समूह पर छापेमारी को लेकर आयकर विभाग ने कहा, 2200 करोड़ रुपये के ‘फर्जी लेन-देन’ को लेकर जांच जारी

आयकर विभाग ने कहा कि तलाशी के दौरान कई कर्मचारियों, जिनके नाम शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में इस्तेमाल किए गए थे, ने स्वीकार किया कि उन्हें ऐसी कंपनियों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने काफी यकीन कर अपने आधार कार्ड और डिजिटल हस्ताक्षर नियोक्ता को दिए थे. इनमें कुछ ऐसे रिश्तेदारों का भी खुलासा हुआ, जो निदेशक और शेयरधारक के रूप में इकाई में शामिल थे, लेकिन उन्हें कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कुछ पता नहीं था.

बयान में कहा गया, ऐसी कंपनियों का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया गया है जैसे कि फर्जी खचरें की बुकिंग, सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे को छीनना, निवेश करने के लिए उनकी करीबी कंपनियों में पैसा ट्रांसफर करना, सकरुलर लेनदेन करना इत्यादि.अब तक इस पद्धति का उपयोग करके आय से बचने के तरीकों का पता चला है, जो छह वर्षों की अवधि में 700 करोड़ रुपये है. हालांकि, राशि अधिक भी हो सकती है क्योंकि समूह ने कई परतों में अपने इन्हीं कामों को अंजाम दिया है और अब इसी के खुलासे के लिए आगे की जांच की जा रही है.

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