हैदराबाद (Hyderabad) में वेटनरी महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के बाद पुरे देश में आरोपियों के प्रति आक्रोश का माहौल है. लोग जगह-जगह पर आरोपियों के प्रति मोर्चे निकाल रहे हैं और जल्द कड़ी कारवाई करने की मांग कर रहे हैं. इस घटना का असर सोशल मीडिया (Social Media) पर भी देखने को मिल रहा है. इस दौरान कुछ लोग भावनाओं में बहकर पीड़िता के वायरल हो चुके फोटो को भी साझा कर रहे हैं और टि्वटर पर उसके नाम के हैशटैग चला रहे हैं, जो कि जाने अनजाने सोशल मीडिया यूजर इस तरह पीड़िता व उसके परिवार की निजता के अधिकार का हनन का रहे हैं. बता दें कि लोगों की इस गलती की वजह से पीड़िता और उसके परिवार को न्याय पाने के लिए काफी जद्दोजहद उठानी पड़ सकती है.
वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए (IPC Section 228A) के अनुसार देश में यह कानून है कि यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म से पीड़ित किसी भी व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है. पीड़ित का नाम मुद्रित या प्रकाशित करने वाले शख्स या संस्थान को ऐसा करने पर दो साल की जेल और जुर्माना हो सकता है. यह भी पढ़ें- हैदराबाद वेटनरी महिला डॉक्टर बलात्कार और हत्या मामला: न्याय के लिए ग्रेजुएट छात्र ने बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या करने की दी धमकी
पीड़िता का नाम उजागर होने पर क्या-क्या होती हैं परेशानियां:
1- पीड़ित व्यक्ति की निजता के अधिकार का होता है उल्लंघन
2- पीड़िता को मानसिक और सामाजिक चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं
3- अज्ञात बलात्कारी पीड़िता की पहचान का लाभ उठा सकता है
4- पूर्वाग्रह से ग्रस्त पुलिस, मेडिकल अफसर और वकील दुर्भव्यहार करते हैं
( ह्यूमन राइट वॉच की 'एंवरीवन ब्लेम मी, बैरियर टू जस्टिस एंड सपोर्ट सर्विस फॉर सेक्सुअल असॉल्ट सरवाइवर इन इंडिया' रिपोर्ट के मुख्य बिंदु )
बता दें कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में दुष्कर्म या अन्य यौन अपराधों की पीड़िता के साथ वास्तव में अपराधी जैसा व्यवहार किया जाता है. पीड़िता का कोई दोष नहीं होने पर भी उसके साथ अछूत के समान व्यवहार किया जाता है. इसलिए आपसे अनुरोध है कि रेप पीड़िता का नाम गोपनीय बनाए रखें.