नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गुरुवार को कहा कि पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाकर संसद ने सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) के 'अधूरे सपने' को पूरा करने का काम किया. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से राज्य आतंकवादियों के लिए एक प्रवेश द्वार बन गया था.सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 144वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम से 'रन फॉर यूनिटी' मैराथन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने से पहले एक सभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है जिन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने का बीड़ा उठाया.
उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त करने के लिए 70 साल का समय लगा. शाह ने कहा कि पटेल ने 550 रियासतों का भारत में विलय करवाया लेकिन जम्मू एवं कश्मीर के विषय में ऐसा नहीं हो सका था. शाह ने कहा, "अनुच्छेद 370 देश में आतंकवाद के लिए प्रवेश द्वार था. जम्मू एवं कश्मीर से इस अनुच्छेद को निरस्त कर प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को रोकने के लिए एक गेट स्थापित करने में भूमिका निभाई।"पटेल को याद करते हुए शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी श्रद्धांजलि दी. उनकी 31 अक्टूबर 1984 को हत्या कर दी गई थी. यह भी पढ़े: गुजरात: PM Modi ने लौहपुरुष सरदार पटेल को दी 144वीं जयंती पर श्रद्धांजलि, देशवासियों को दिलाई राष्ट्रीय एकता की शपथ
गृह मंत्री ने पटेल के बारे में कहा कि आजादी के कई वर्षो तक उनके किए गए कार्यो के लिए उनका उचित सम्मान नहीं किया गया।शाह ने उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में उनके योगदान को देखते हुए दुनिया की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक 182 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाया गया.यह लौह पुरुष को एक श्रद्धांजलि है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है और 2024 तक यह पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
'रन फॉर यूनिटी' मैराथन में कई वरिष्ठ नागरिकों के साथ स्कूली बच्चों और पूर्व सैनिकों सहित लगभग 12,000 लोगों ने भाग लिया।सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को 'रन फॉर यूनिटी' कार्यक्रम के माध्यम से 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है. अनुच्छेद 370 को रद्द कर जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद यह पटेल की पहली जयंती है. भाजपा कई रैलियों में इस बात का जिक्र कर चुकी है कि इस विवादित अनुच्छेद के लिए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू दोषी हैं. पार्टी का मत है कि यदि कश्मीर का मामला पटेल ने देखा होता तो अनुच्छेद 370 अस्तित्व में नहीं आता.