एक-दूसरे के पतियों को बचाने के लिए हिंदू और मुस्लिम महिलाओं ने डोनेट की किडनी

इसी दौरान अस्पताल में नेफ्रॉलजिस्ट के तौर पर काम कर रहे हेमल शाह को इस बात का पता चला. जिसके बाद उन्होंने दोनों परिवारों के लोगों को बालय और बातचीत के बाद तो उन्होंने किडनी स्वैप की योजना बनाई. जिसके बाद नदीम का ब्लड ग्रुप (B) सत्यादेवी से मैच कर गया और 14 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे के मौके पर सैफी हॉस्पिटल में हुई सर्जरी की गई और वो सफल रहा

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

हिंदुस्तान की खूबसूरती है इसकी गंगा-जमुनी तहजीब. अनेकता में एकता और आपसी भाईचारा. हालांकि कुछ लोग इसे बिगाड़ने पर जरुर तुले हैं. लेकिन हर भारतीय अपनी जिम्मेदारी और अपने रिश्तों को खराब नहीं बल्कि और भी मजबूत कर रहा है. एक ऐसा ही बेहद अनोखा मामला मुंबई से सटे थाणे में देखने को मिला. जहां पर एक हिंदू और एक मुस्लिम महिला ने अपने पतियों को बचाने के लिए सिटी हॉस्पिटल में एक-दूसरे के पति को किडनी डोनेट किया था.

मामला ठाणे और बिहार के दो परिवारों का है. 6 महीने पहले तक दोनों एक दूसरे का नाम तक नहीं जानते थे. लेकिन इलाज के लिए जब मुंबई पहुंचे तो बात हुई और फिर बात दोस्ती में बदल गई. दोनों ही पीड़ित अपने परिवार-रिश्तेदारों में से डोनर्स की तलाश कर रहे थे. दरअसल नदीम (51) और नजरीन (45) की बिहार निवासी रामस्वार्थ यादव (53) डायलिस से जूझ रहे हैं. जिसके बाद वे मुंबई आए थे. वहीं दोनों परिवारों की मुलाकात हुई.

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इसी दौरान अस्पताल में नेफ्रॉलजिस्ट के तौर पर काम कर रहे हेमल शाह को इस बात का पता चला. जिसके बाद उन्होंने दोनों परिवारों के लोगों को बालय और बातचीत के बाद तो उन्होंने किडनी स्वैप की योजना बनाई. जिसके बाद नदीम का ब्लड ग्रुप (B) सत्यादेवी से मैच कर गया और 14 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे के मौके पर सैफी हॉस्पिटल में हुई सर्जरी की गई और वो सफल रहा.

गौरतलब हो कि किडनी (Kidney) यानी गुर्दा हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालने का काम करती है और शरीर का पूरा सिस्टम इस पर निर्भर करता है. जरा सी लापरवाही आपकी किडनी को खराब कर सकती है.

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