HC on Nude Paintings: हर न्यूड पेंटिंग या यौन चित्रण को अश्लील नहीं माना जा सकता; बॉम्बे हाई कोर्ट ने 7 जब्त पेंटिंग्स को रिहा करने का दिया आदेश
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय कलाकार फ्रांसिस न्यूटन सूजा और अकबर पद्मसी की सात पेंटिंग्स को रिहा करने का आदेश दिया और इन पेंटिंग्स को अश्लील बताकर जब्त करने पर सीमा शुल्क अधिकारियों को फटकार लगाई.
HC on Nude Paintings: हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय कलाकार फ्रांसिस न्यूटन सूजा और अकबर पद्मसी की सात पेंटिंग्स को रिहा करने का आदेश दिया और इन पेंटिंग्स को अश्लील बताकर जब्त करने पर सीमा शुल्क अधिकारियों को फटकार लगाई. जस्टिस एमएस सोनक और जितेंद्र जैन की पीठ ने कहा कि किसी भी पेंटिंग को केवल नग्नता या यौन चित्रण के आधार पर अश्लील घोषित नहीं किया जा सकता, और सीमा शुल्क अधिकारी अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं के आधार पर समुदाय की नैतिकता का निर्णय नहीं ले सकते.
इस मामले में कोर्ट ने सीमा शुल्क अधिकारियों के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें इन पेंटिंग्स को 1 जुलाई को अश्लील बताकर जब्त किया गया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत में सीमा शुल्क कानून इस प्रकार की पेंटिंग्स के प्रति सख्त नहीं हैं, उदाहरण के लिए माइकलएंजेलो की "डेविड" जैसी विश्व प्रसिद्ध मूर्तियों के लिए विशेष रूप से कपड़े की कोई मांग नहीं की जाती है. कोर्ट का मानना है कि हर नग्न चित्रण अश्लील नहीं होता, और एक व्यक्ति का व्यक्तिगत दृष्टिकोण कानून नहीं बन सकता.
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
2022 में, बीके पोलिमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने लंदन से अकबर पद्मसी की तीन और एफएन सूजा की चार पेंटिंग्स खरीदी थीं. 24 मार्च 2023 को, कंपनी ने फेडेक्स के माध्यम से इन्हें भारत भेजा, जिसमें स्पष्ट रूप से "नग्न चित्र" के रूप में लेबलिंग की गई थी ताकि सीमा शुल्क के नियमों का पालन हो सके. लेकिन भारत में पहुंचने पर, अधिकारियों ने इन्हें जब्त कर लिया. जब कंपनी ने इन पेंटिंग्स को पुनः निर्यात करने की अनुमति मांगी, तो 20 अप्रैल को इन्हें अश्लील घोषित कर जब्त कर लिया गया.
कोर्ट की सुनवाई और निर्णय
कंपनी ने यह कहते हुए इस जब्ती को चुनौती दी कि ये पेंटिंग्स अश्लील नहीं हैं, और इसके समर्थन में आर्ट गैलरी से प्रमाण पत्र व विशेषज्ञों के मत पेश किए. कोर्ट ने पाया कि सीमा शुल्क अधिकारियों ने केवल अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर होकर यह निर्णय लिया, जो कि गलत था. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि "सेक्स और अश्लीलता हमेशा एक समान नहीं होते," और इस तरह के विषय में शब्दकोश की परिभाषा का उपयोग करके किसी कलाकृति को अश्लील कहना उचित नहीं है. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पद्मसी और सूजा जैसे सम्मानित कलाकारों की कलाकृतियों को उनकी कलात्मक योग्यता के अनुसार देखा जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत दृष्टिकोणों के आधार पर.
अंततः, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीमा शुल्क अधिकारियों के आदेश को रद्द कर दिया और जब्त पेंटिंग्स को दो सप्ताह के भीतर रिहा करने का आदेश दिया.