H3N2 Cases With Swine Flu: स्वाइन फ्लू के साथ बढ़ रहे हैं एच3एन2 के मामले, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से हुआ चौंकाने वाला खुलासा
देश में एच3एन2 वायरस से संक्रमण के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं और हैरत की बात तो यह है कि एच3एन2 के ज्यादातर मामले स्वाइन फ्लू यानी एच1एन1 के साथ सामने आ रहे हैं. यह खुलासा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के जरिए हुआ हैं
H3N2 Cases With Swine Flu or H1N1: इफ्लूएंजा ए (Influenza A) के उप प्रकार एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) से संक्रमण के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि एच3एन2 के ज्यादातर मामले स्वाइन फ्लू (Swine Flu) यानी एच1एन1 (H1N1) के साथ सामने आ रहे हैं. यह खुलासा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के ताजा आंकड़ों के जरिए हुआ हैं. इसके सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु (545), महाराष्ट्र (170), गुजरात (74), केरल (72) और पंजाब (28) में दर्ज किए गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मार्च के आखिर में संक्रमण के मामलों में गिरावट आने की उम्मीद है. इसके साथ ही सामने आ रहे मामलों को ट्रैक और मॉनिटर किया जा रहा है. हालांकि, इन्फ्लूएंजा के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, तीव्र श्वसन और इन्फ्लूएंजा के अब तक 3,97,814 से अधिक मामलों की रिपोर्ट की गई है.
क्या है स्वाइन फ्लू?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो H3N2 और H1N1 दोनों ही संक्रमणों में कोविड-19 जैसे लक्षण नजर आते हैं, जिसकी चपेट में दुनिया भर के लाखों लोग आए और करीब 6.8 मिलियन लोगों की मौत हो गई. कोविड महामारी के दो साल से अधिक समय के बाद, अब बढ़ते फ्लू के मामलों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है. रोग निवारण और नियंत्रण केंद्रों के अनुसार, स्वाइन इन्फ्लुएंजा टाइप-ए इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण सूअरों का श्वसन रोग है.
स्वाइन फ्लू वायरस की खोज साल 2009 में हुई थी, जब एक विशेष नस्ल के सूअरों, पक्षियों और इंसानों के वायरस के संयोजन से यह संक्रमण पैदा हुआ था. साल 2009-10 में फ्लू सीजन के दौरान H1N1 श्वसन संक्रमण का कारण बना, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने H1N1 फ्लू को महामारी घोषित किया था. यह भी पढ़ें: H3N2 Experts Tips: इन्फ्लूएंजा एच3एन2 के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई चिंता, देश में दो की मौत, जानें वायरस को लेकर एक्सपर्ट्स की सलाह
क्या है इसके लक्षण?
H1N1 यानी स्वाइन फ्लू वायरस से संक्रमित लोगों में ठंड लगना, खांसी, गला खराब होना, बहती नाक, लाल आंखें, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. हालांकि ये लक्षण वायरस के संपर्क में आने के लगभग एक से तीन दिन बाद नजर आते हैं.
H1N1 संक्रमण कैसे होता है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इन्फ्लूएंजा वायरस जैसे एच1एन1 उन कोशिकाओं को संक्रमित करता है, जिससे आपके नाक, गले और फेफड़ों प्रभावित होते हैं. इस वायरस का प्रवेश शरीर में तब होता है, जब आप दूषित ड्रॉपलेट्स को सांस के जरिएअंदर लेते हैं या जीवित वायरस को दूषित सतह से अपनी आंखों, नाक या मुंह में स्थानांतरित करते हैं. हालांकि कहा जाता है कि सूअर का मांस खाने से आपको स्वाइन फ्लू नहीं हो सकता है.
संक्रमण से होने वाली जटिलताएं
अगर आप एच1एन1 वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपकी बॉडी में कुछ स्वास्थ्य जोखिम और जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.
- अगर आप पहले से दिल या अस्थमा के मरीज हैं तो स्वाइन फ्लू की चपेट में आने से आपकी पुरानी बीमारियों के लिए ज्यादा जोखिम पैदा हो सकता है.
- यह आपको निमोनिया दे सकता है और समय पर उचित इलाज न मिलने पर यह मौत का कारण भी बन सकता है.
- अगर आपको इस वायरस के संक्रमण के चलते तेज बुखार आता है तो भ्रम से लेकर दौरे तक यह न्यूरोलॉजिकल संकेत और लक्षण हो सकते हैं.
- यह वायरस श्वसन विफलता का कारण भी बन सकता है. यह भी पढ़ें: H3N2 Influenza: इन्फ्लुएंजा पर स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क, बताया क्यों फैल रहा संक्रमण और किसे है ज्यादा खतरा
कैसे करें बचाव?
डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू का टीका एच1एन1 फ्लू या स्वाइन फ्लू से बचाव में मदद कर सकता है. इसके अलावा अगर आप एच1एन1 से संक्रमित हैं, लेकिन स्वस्थ हैं तो आपको विशेष उपचार की जरूरत नहीं है. इस दौरान खूब आराम करें, तरल पदार्थों का सेवन करें, हल्का आहार लें, घर पर रहें, मास्क का इस्तेमाल करें, छींकने या खांसने पर अपनी नांक व मुंह को टिश्यू से ढक लें. इसके अलावा अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं. इस तरह से आप संक्रमण से बच सकते हैं या फिर संक्रमित हैं तो उपचार के दौरान इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना जरूरी है.