सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने 20 जुलाई 2020 के आदेश को आज अधिसूचित कर दिया. मंत्रालय की इस अधिसूचना के बाद सड़क पर चलने वाले लोगों को कई नए नियमों को ध्यान में रखना होगा. दरअसल ये नए नियम लोगों की सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं. इन मानकों का पालन करने पर टायर पंक्चर की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयेगी.
क्या हैं नए मानक
3.5 टन के अधिकतम भार को ले जाने वाले वाहनों में टायर प्रेशर मॉनीटरिंग सिस्टम लगाये जाएंगे.इस सिस्टम को लगाने से चलती गाड़ी में टायर के प्रेशर में होने वाले बदलाव की मॉनीटरिंग करता है और ड्राइवर को टायर प्रेशर के बारे में सूचित करता है. इस सिस्टम को वाहनों में लगाने से टायर फटने से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. नए वाहनों में इस सिस्टम को लगाने की बात कही गई है.नए वाहनों में टायर रिपेयर किट मुहैया कराने का सुझाव दिया गया है. स्टेपनी नहीं होने की दशा में ट्यूबलेस टायर के रास्ते में टायर पंक्चर होने पर कई बार लंबी दूरी तक वाहनों को खींचना पड़ता है.सरकार ने वाहनों में टायर रिपेयर किट के मानक अधिसूचित किए हैं. यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश: झांसी-मिर्जापुर हाईवे पर भीषण सड़क हादसा, 3 प्रवासी मजदूरों की मौत, 12 से अधिक घायल
टायर प्रेशर मॉनीटरिंग सिस्टम और टायर रिपेयर किट वाहन में होने से स्टेपनी यानी अतिरिक्त टायर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वाहन में जगह अधिक होगी और वाहन पर भार भी कम होगा.इलेक्ट्रिक वाहनों में स्टेपनी की जगह पर बैटरी रखने की व्यवस्था की जा सकती है. सरकार ने सेफ्टी ग्लास के लिए मानक तय किए हैं, जिसमें आगे के ग्लास में प्रकाश का विजुअल ट्रांसमिशन 70 प्रतिशत तक और पीछे की खिड़की में 50 प्रतिशत तक होना अनिवार्य है.
दोपहिया वाहनों में भी कई चीजों के लिए एआईएस मानकों को अधिसूचित किया गया है। इसके अलावा दुपहिया वाहनों में ऐसे कोई भी पार्ट जो बाहर की तरफ निकले रहेते हैं, जिससे राह चलते लोगों को चोट लग सकती है, उनके लिए मानक तय किए गए हैं. ऐसी चीजें जो राह चलते लोगों को चोट पहुंचा सकती हैं, उनको सॉफ्ट मटीरियल के बनाने का प्रस्ताव रखा गया है.
दोपहिया वाहनों के फुट रेस्ट (जिस पर पैर रखते हैं) के लिए भी मानक तय किए हैं। इसके अलावा डिलीवरी देने वाले लोगों के द्वारा प्रयोग होने वाले वाहनों में पीछे लगे कंटेनर के लिए भी मानक तय किए गए हैं. आपको बता दें कि इन मानकों से कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर ट्रॉली को अलग रखा गया है.