भारत में कोरोना वैक्सीन से पहली मौत की पुष्टि, सरकारी पैनल ने माना 68 साल के बुजुर्ग ने Anaphylaxis की वजह से तोड़ा था दम
वैक्सीन | प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: PTI)

COVID Vaccine Side Effects: भारत में देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान के तहत अब तक 25.90 करोड़ कोरोना रोधी टीके लगाये गये हैं. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार वैक्सीन साइड-इफेक्ट्स (AEFI) का अध्ययन करने वाले सरकारी पैनल ने माना है कि कोरोना वैक्सीन की वजह से एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत देश में हुई है. भारत में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार, 29 मार्च के बाद सबसे कम नए मामले सामने आए

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड वैक्सीन लगाने के बाद 68 वर्षीय एक व्यक्ति की एनाफिलेक्सिस (Anaphylaxis) के कारण मृत्यु हो गई. एईएफआई समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 68 वर्षीय की मृत्यु इसी साल 8 मार्च  को वैक्सीनेशन के बाद एनाफिलेक्सिस यानी एलर्जी से पीड़ित होने के कारण हुई थी. जबकि अन्य दो एनाफिलेक्सिस मामले अस्पताल में भर्ती होने के बाद ठीक हो गए. इन दोनों लोगों को 19 और 16 जनवरी को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी.

इस अवधि के दौरान लगभग 60 मिलियन वैक्सीन की खुराक दी गई थी, जिसमें से 28 लोगों की मृत्यु हुई थी. लेकिन जांच में मौत के अधिकांश मामले कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़े हुए नहीं मिले, जबकि कम से कम 9 मौतों का कारण निर्धारित नहीं किया जा सका. पैनल द्वारा वैक्सीनेशन के बाद साइड इफेक्ट्स के कुल 31 मामले की जांच की गई थी.

बीते महीने जारी की गई एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में कोविड वैक्सीनेशन के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने की घटनाएं बेहद कम हैं.  राष्ट्रीय एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) समिति की ओर से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोविड वैक्सीनेशन के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने के मामले बहुत कम हैं और यह देश में ऐसी स्थितियों के सामने आने की अपेक्षित संख्या के अनुरूप हैं.

कुछ देशों में 11 मार्च, 2021 को, विशेष रूप से एस्ट्रा जेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (भारत में कोविशील्ड) के साथ, वैक्सीनेशन के बाद “रक्तस्राव और थक्के जमने की घटनाओं”, को लेकर अलर्ट जारी किए गए हैं. वैश्विक चिंताओं को देखते हुए भारत में प्रतिकूल घटनाओं (एई) का तत्काल गहन विश्लेषण कराने का फैसला लिया गया था.

राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने उल्लेख किया है कि 3 अप्रैल तक, वैक्सीन की 7,54,35,381 खुराक (कोविशील्ड- 6,86,50,819; कोवैक्सीन-67,84,562) लगाई गईं. इनमें 6,59,44,106 पहली खुराक और 94,91,275 दूसरी खुराक शामिल थीं. तब वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के बाद से देश के 753 जिलों में से 684 जिलों में को-विन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 23,000 से ज्यादा प्रतिकूल घटनाएं (एई) दर्ज की गई थीं. इनमें से सिर्फ 700 मामले (9.3 मामले/10 लाख टीके की लगी खुराक) ही गंभीर और जटिल प्रकृति के रूप में दर्ज किए गए थे.

एईएफआई समिति ने गंभीर और जटिल घटनाओं वाले 498 मामलों की गहन समीक्षा पूरी की है, जिनमें से कोविशील्ड वैक्सीन टीका लगने के बाद 0.61 मामलों/10 लाख खुराक की रिपोर्टिंग रेट के साथ 26 मामलों को संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक घटना (रक्त वाहिका में थक्के का जमना, जो ढीला हो सकता है, रक्त प्रवाह के माध्यम से दूरी रक्त वाहिका तक जा सकता है) के रूप में दर्ज किया गया. हालांकि कोवैक्सीन टीका लगाने के बाद संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक का एक भी मामला नहीं दर्ज किया गया.

हालांकि भारत में एईएफआई के आंकड़ों ने दिखाया है कि यहां बेहद कम, लेकिन निश्चित तौर पर थ्रोम्बोम्बोलिक घटनाओं का जोखिम है. भारत में ऐसी शिकायतें दर्ज करने की दर लगभग 0.61/10 लाख खुराक है. यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि थ्रोम्बोम्बोलिक की घटनाएं सामान्य आबादी में भी होती रहती हैं, जैसा कि परिस्थितियां और वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यह जोखिम यूरोपीय मूल के व्यक्तियों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में लगभग 70 प्रतिशत कम होता है.

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की 39,27,154 वैक्सीन लगाई गईं, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 25,90,44,072 हुआ.