केंद्र सरकार ने आम आदमी को राहत देते हुए, गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे गेहूं के आटे की कीमतों में उछाल पर लगाम लगेगा. दरअसल पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं या मेस्लिन आटे की निर्यात नीति को मंजूरी दे दी है. इससे आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा.
केंद्र सरकार के ये फैसला गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश सुनिश्चित करेगा और समाज के सबसे कमजोर वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस आशय की अधिसूचना जारी करेगा.
गेहूं के निर्यात पर रोक
बता दें कि रूस और यूक्रेन गेहूं का प्रमुख निर्यातक है, जो वैश्विक गेहूं व्यापार का लगभग एक चौथाई हिस्सा रखते हैं. उनके बीच संघर्ष के कारण वैश्विक गेहूं आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. जिससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई. नतीजतन, घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत में वृद्धि देखी गई. देश के 1.4 अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया. यह भी पढ़ें : मुंबई पुलिस को ‘सोमालिया जैसे’ हमले से बचने की सलाह देने वाला संदेश मिला
हालांकि, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण (जो घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था), विदेशी बाजारों में गेहूं के आटे की मांग बढ़ गई है और इसका भारत से निर्यात हो रहा है. अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान 2021 की इसी अवधि की तुलना में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
पहले आटे के निर्यात पर रोक का नहीं था प्रावधान
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के आटे की बढ़ती मांग के कारण घरेलू बाजार में गेहूं के आटे की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. इससे पहले, गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी. इसलिए, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की आवश्यकता थी.