Ghatkopar Non-veg Marathi vs Gujarati: नॉनवेज खाने को लेकर मुंबई की सोसायटी में बवाल, मराठी और गुजराती समुदाय आमने-सामने

मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के घाटकोपर इलाके में एक हाउसिंग सोसायटी में नॉनवेज खाने को लेकर मराठी और गुजराती समुदाय के बीच गहरा विवाद छिड़ गया है. संभव दर्शन को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में यह मामला तब गरमाया जब सोसायटी के मराठी निवासी राम रिंगे और गुजराती मूल के राहुल शाह के बीच कहासुनी हो गई.

राम रिंगे का आरोप है कि राहुल शाह ने उनके नॉनवेज खाने पर आपत्ति जताई और कथित रूप से मराठी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. रिंगे के अनुसार, राहुल ने कहा – "तुम मराठी लोग गंदे होते हो, मच्छी-मांस खाते हो."

मनसे का दखल, चेतावनी भरा रुख

इस घटना की जानकारी मिलते ही राम रिंगे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) से संपर्क किया. देर रात मनसे नेता राज पार्टे अपने कार्यकर्ताओं के साथ सोसायटी पहुंचे और चेतावनी देते हुए कहा कि मराठी लोगों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने साफ शब्दों में कहा – "अगर मराठी समाज को छेड़ा गया, तो मनसे की शैली में जवाब मिलेगा."

 

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बायकॉट की चर्चा से बढ़ा विवाद

अगले ही दिन सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप में राम रिंगे के खिलाफ बायकॉट की बात चलने लगी, जिससे मामला और भड़क गया. एक बार फिर मनसे नेता मौके पर पहुंचे और सोसायटी के चेयरमैन व अन्य सदस्यों से सख्त बातचीत की. उन्होंने यह भी दोहराया कि किसी भी मराठी निवासी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा.

पुलिस ने कहा- मामला चुनावी राजनीति से जुड़ा हो सकता है 

विवाद की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस भी सोसायटी पहुंची. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अविनाश कालदाते ने बताया कि सोसायटी में दो गुट सक्रिय हैं और यह विवाद संभवतः सोसायटी चुनाव के बाद पैदा हुआ तनाव हो सकता है. पुलिस अब एक बैठक बुलाकर कानूनी रास्ता अपनाने की तैयारी कर रही है.

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का सरकार पर हमला

इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र सरकार और खासतौर पर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "जब मुख्यमंत्री खुद नॉनवेज खाते हैं, तो आम आदमी के खाने पर आपत्ति क्यों?"

वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि बार-बार गुजराती समुदाय द्वारा मराठी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. उन्होंने तीखा सवाल उठाया – "क्या यह मराठी लोगों की सरकार है या नहीं?" इसके साथ ही उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए कहा कि हिंदी को महाराष्ट्र में अनिवार्य बनाना मराठी भाषा पर सीधा हमला है.

 

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