पूर्व राष्ट्रीय बॉक्सर (national boxer) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (National Institute of Sports) से क्वालिफाइड कोच आबिद खान (Abid Khan) आज अनाज की बोरियां ढोने और ऑटो चलाने को मजबूर हैं. वे दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते हैं, लेकिन इसके बाद भी वे चंडीगढ़ में बच्चों को फ्री में बॉक्सिंग सिखाते हैं. उन्होंने कहा, "मुझे इस काम के लिए 9,500 रुपये महीने मिलते हैं. इसके अलावा, मुझे सामान उतारने के लिए 100 रुपये मिलते हैं. मैं बच्चों के एक समूह को मुफ्त में प्रशिक्षण दे रहा हूं. आबिद एक अंतर-विश्वविद्यालय मुक्केबाजी चैंपियन हैं और एनआईएस से कोचिंग में डिप्लोमा धारक है. NIS, पटियाला से अपना कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने सेना के जवानों को पांच साल के लिए मुक्केबाजी का प्रशिक्षण दिया. यह भी पढ़ें: गुलाल-पटियाला हाउस जैसी फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता सवि सिद्धू बने सिक्योरिटी गार्ड, देखें वीडियो
लेकिन खराब परिस्थितियों के कारण, उन्हें चंडीगढ़ में एक ऑटोलोडर और ड्राइवर के रूप में काम करना पड़ता है. उन्होंने अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों को झेला है, लेकिन इसके बाद भी वे धनस में छोटे बच्चों को फ्री में बॉक्सिंग सिखाते हैं. उन्होंने एएनाई को बताया कि,'अपने शुरुआती दिनों में मैंने उत्तर प्रदेश से आठवीं कक्षा तक अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में मेरे पिता चंडीगढ़ में बस गए, जहां मैंने मुक्केबाजी सीखी और विभिन्न टूर्नामेंटों में चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा, मैंने सुबह से शाम तक एक लोडर के रूप में काम किया है," आबिद ने बताया.
देखें ट्वीट:
Chandigarh: A former national boxer & NIS qualified coach, Abid Khan drivers auto & unload sacks at a grain market to earn a livelihood.
"I get Rs 9,500/month for this job. Additionally, I get Rs 100 for unloading goods. I am training a group of children free of cost," he says. pic.twitter.com/SPPt7RpwhN
— ANI (@ANI) April 17, 2021
देखें वीडियो:
Story of national boxer Abid Khan: From NIS qualified coach to driving auto...
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— Saurabh Duggal (@duggal_saurabh) April 14, 2021
पूर्व मुक्केबाज ने कहा, "मैंने धनस के स्थानीय इलाके में छोटे बच्चों को मुफ्त में कोचिंग देना शुरू कर दिया है. अगर मुझे कुछ अवसर और सुविधाएं मिलें तो मैं ज्यादा बच्चों और खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर सकता हूं." खान ने कहा कि अपनी खराब आर्थिक हालत की वजह से अब वे युवा एथलीटों को स्पोर्ट्स अपनाने को हतोत्साहित करते हैं. "मैंने अपनी स्थिति और खेल में कई अन्य लोगों को देखा है. जिनका अब कोई मूल्य नहीं है. मैंने एक बार चपरासी की नौकरी के लिए अपने कॉलेज के एक अधिकारी से संपर्क किया था. उन्होंने टिप्पणी की कि मैं एक खिलाड़ी होने के बावजूद नौकरी के लिए कैसे भीख मांग रहा हूं?" इससे मेरा दिल टूट गया और तभी मैंने फैसला किया कि मैं अपने बच्चों को इस क्षेत्र में नहीं जाने दूंगा. ”