पाकिस्तान पर आर्थिक प्रहार की बारी! ADB अध्यक्ष से मिलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, फंडिंग रोकने की रखी मांग
FM Nirmala Sitharaman | PTI

नई दिल्ली: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर आक्रामक रुख अपना लिया है. अब भारत केवल सैन्य और कूटनीतिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरने की तैयारी में है. सोमवार को इटली के मिलान में आयोजित 58वीं एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) की वार्षिक बैठक के दौरान भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ADB अध्यक्ष मासातो कांडा से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद पर सवाल उठाते हुए कहा कि आतंक का पोषण करने वाले देशों को आर्थिक समर्थन नहीं मिलना चाहिए.

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वित्त मंत्री ने यही मांग इटली के वित्त मंत्री जियानकार्लो जियोर्जेट्टी के सामने भी दोहराई. भारत की यह पहल सीधे तौर पर पाकिस्तान की आर्थिक नब्ज पर प्रहार मानी जा रही है.

पाकिस्तान को क्यों मिलती है मदद?

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से बदहाल है. उसे ADB और IMF जैसे वैश्विक संस्थानों से अरबों डॉलर की सहायता मिलती है. ये फंड सड़क, बिजली, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक विकास जैसे क्षेत्रों के लिए होते हैं. लेकिन भारत का आरोप है कि इस सहायता राशि का एक हिस्सा आतंकवादी संगठनों तक पहुंचता है.

भारत क्यों कर रहा विरोध?

भारत का तर्क साफ है- जो देश आतंकवाद को पालते हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों से सहायता नहीं दी जानी चाहिए. भारत का यह भी कहना है कि पाकिस्तान को दोबारा FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए और उसे IMF द्वारा मिले 7 अरब डॉलर के राहत पैकेज की जांच हो.

वित्त मंत्रालय का बयान: भारत बना निवेश का बेहतर विकल्प

वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बैठक की जानकारी साझा करते हुए बताया कि निर्मला सीतारमण ने भारत में हो रहे सुधारों का जिक्र किया. इनमें Insolvency and Bankruptcy Code (IBC), GST, StartupIndia, गति शक्ति योजना, और PLI स्कीम जैसी पहलें शामिल हैं, जो भारत को निवेश के लिए आकर्षक बनाती हैं. ADB अध्यक्ष मासातो कांडा ने भी भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही और कहा कि वे ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को समर्थन देंगे.

सेना को खुली छूट, कूटनीति और तैयारी दोनों जारी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 10 दिनों में तीनों सेना प्रमुखों से अलग-अलग बैठकें की हैं. इससे यह संकेत मिल रहा है कि भारत जल्द ही सख्त जवाब दे सकता है. वहीं सीमा पर ब्लैकआउट ड्रिल, लड़ाकू विमान अभ्यास और नौसेना की हलचल भी तेज हो गई है.

भारत ने साफ कर दिया है कि इस बार सिर्फ निंदा नहीं, कार्रवाई होगी — वो भी हर स्तर पर.

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