कांग्रेस के जय-वीरू में लूट के माल के लिए झगड़ा: CM शिवराज सिंह चौहान

मध्य प्रदेश में सियासी तौर पर वार-पलटवार का खेल चल रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को जय-वीरू की जोड़ी बताए जाने पर तंज कसा है और कहा कि यह जय-वीरू की जोड़ी लूट के माल के लिए झगड़ रही है.

सीएम शिवराज सिंह चौहान (Photo Credits ANI)

भोपाल, 31 अक्टूबर : मध्य प्रदेश में सियासी तौर पर वार-पलटवार का खेल चल रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को जय-वीरू की जोड़ी बताए जाने पर तंज कसा है और कहा कि यह जय-वीरू की जोड़ी लूट के माल के लिए झगड़ रही है.

दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को शोले की जय और वीरू की जोड़ी करार दिया था. इसके बाद कांग्रेस के भीतर दोनों नेताओं में अनबन और झगड़े की खबरें आ रही हैं. दोनों नेताओं के साथ सुरजेवाला को दिल्ली तलब किया गया है. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र सरकार ने मराठा को कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया पर शिंदे समिति की रिपोर्ट स्वीकार की

इसी पर शिवराज सिंह चौहान ने हमला बोला है. मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि ये जय और वीरू की जोड़ी है, जिसे दिल्ली बुलाया गया. अब वो कहते हैं कि भाजपा भ्रम फैला रही है तो दिल्ली क्यों बुला रही है. कांग्रेस के जय और वीरू झगड़ रहे हैं आपस में और ये लड़ रहे हैं लूट के माल के लिए, जय और वीरू तो लूटते ही थे, इनका झगड़ा है लूट के माल के लिए! पहले भी 2003 तक मिस्टर बंटाढार ने पूरे प्रदेश को लूटा और बर्बाद कर दिया, सवा साल में कमलनाथ ने भी लूट का अड्डा बना दिया था.

मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी बात को आगे बढाते हुए कहा, अब आगे कौन लूटे और कितना लूटे और उसमें कितनी हिस्सेदारी हो, झगड़ा इनका केवल इस बात का है, अब दिल्ली भी पता नहीं इन पर किस मुद्दों पर चर्चा कर रही है. क्या दिल्ली भी इसमें शामिल है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते रोज कमलनाथ को सेठ कहा था. इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कल मैंने उन्हें सेठ कहा तो वो आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं. मैं सेठ हूं क्या, मैं उद्योगपति हूं क्या? तो, कमलनाथ को मैं सेठ न कहूं तो क्या कहूं, मजदूर कहूं, फसल काटने वाला कहूं, गिट्टी-मिट्टी उठाने वाला कहूं, वो स्वयं कहते हैं मैं निजी प्लेन में घूमता हूं. अब निजी प्लेन किसान के पास नहीं होता है, मजदूर के पास नहीं होता, गरीब के पास नहीं होता है. उनका एक पांव देश में रहता है, एक पांव विदेश में रहता है. सेठ को सेठ न कहें तो क्या कहें. सेठ को सेठ कहने में आपत्ति क्या है.

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