किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के समिति गठित करने के प्रस्ताव को ठुकराया, बातचीत बेनतीजा रही
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 35 किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया। सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई लंबी बैठक बेनतीजा रही।
नयी दिल्ली, 2 दिसंबर: नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 35 किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया. सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई लंबी बैठक बेनतीजा रही. वार्ता में भाग लेने वाले किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि विज्ञान भवन में हुई लंबी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. सरकार ने बृहस्पतिवार यानी तीन दिसंबर को अगले दौर की वार्ता के लिए किसान प्रतिनिधियों को बुलाया है.
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि वार्ता का दौर जारी रहेगा और अगली बैठक बृहस्पतिवार को निर्धारित की गई है. अधिकारियों ने हालांकि, कहा कि बाद में शाम को कृषि मंत्रालय में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) (BKU) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक का एक और दौर चला. बीकेयू नेता नरेश टिकैत (Naresh Tikait) ने भी कहा कि किसानों का एक और प्रतिनिधिमंडल शाम सात बजे सरकार से मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हाल में लागू किये गये कृषि कानूनों के अलावा अन्य मुद्दों पर भी विचार विमर्श किये जाने की संभावना है. उन्होंने बताया कि वार्ता के अहम बिन्दुओं में किसानों के लिए बिजली शुल्क का मुद्दा होगा.
बैठक के लिए जाते समय दिल्ली-गाजियाबाद (Delhi-Ghaziabad) की सीमा पर टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि इस बैठक में हरियाणा (Haryana), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) के प्रतिनिधियों के भी हिस्सा लेने की उम्मीद है. विज्ञान भवन में किसान संगठन के प्रतिनिधियों के साथ पहली बैठक के समाप्त होते ही यह बैठक शुरु हुई. लगभग दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एकमत राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये. किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हितों के खिलाफ करार दिया.
प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (MSP) व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की दया पर छोड़ दिया जायेगा. सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी.
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किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में बैठक के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के साथ रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (Som Prakash) (जो पंजाब के एक सांसद भी हैं) उपस्थित थे. बैठक के बाद भारत किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष, जोगिन्दर सिंह (Jogindar Singh) उग्राहन ने कहा कि वार्ता बेनतीजा रही और सरकार ने तीन दिसंबर को अगली बैठक बुलाई है.
बैठक शुरु होने से पहले तोमर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उनके मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा के लिए तैयार हैं. देखते हैं क्या होता है.’’ उन्होंने आगे कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद सरकार उनकी समस्याओं का समाधान निकालेगी. भारत किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के सदस्य रूपसिंह सनहा ने पीटीआई- को बताया, ‘‘किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.’’
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