अभी नहीं खत्म होगा किसान आंदोलन! अब किसान संगठन प्रधानमंत्री मोदी के सामने रखने वाले है यह मांग

पांच राज्यों में आगामीं विधानसभा चुनाव से पहले तीन नए कृषि कानून का रोड़ा हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. हालांकि कृषि कानूनों के निरस्त करने की घोषणा के बावजूद किसान संगठन अभी आंदोलन खत्म करने के मूड में नजर नहीं आ रहे है.

किसान आंदोलन (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: पांच राज्यों में आगामीं विधानसभा चुनाव से पहले तीन नए कृषि कानून (Farm Laws) का रोड़ा हटाकर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. हालांकि कृषि कानूनों के निरस्त करने की घोषणा के बावजूद किसान संगठन अभी आंदोलन खत्म करने के मूड में नजर नहीं आ रहे है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आज (21 नवंबर) दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर यानी सिंघु बॉर्डर पर एक अहम बैठक की. इस दौरान किसान नेताओं ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए कानून, जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा, किसानों के ख़िलाफ दर्ज मुकदमें और सरकार को घेरने की उनकी अगली कार्ययोजना पर चर्चा की. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का बड़ा बयान, बोले- जरुरत पड़ने पर दोबारा आ सकता है कृषि कानून बिल

संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक के बाद किसान आंदोलन की आगे की राह बताई, जिसमें कहीं भी कृषि कानूनों के खिलाफ छेड़ी गई जंग को खत्म करने का जिक्र नहीं था. इसके उलट किसान संगठन प्रधानमंत्री मोदी के सामने अपनी मांगों को मजबूती से रखने के लिए जल्द ही खुला पत्र लिखने वाले है. इस बैठक में एसकेएम के लगभग सभी सदस्य संगठनों ने हिस्सा लिया था. हालांकि प्रमुख नेताओं में से एक, भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत उपस्थित नहीं हैं क्योंकि वह अभी में लखनऊ में हैं.

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा “यह एक अच्छा कदम था, हम इसका स्वागत करते हैं. पर अभी भी बहुत कुछ बाकी है. आज हमने मीटिंग में तय किया है कि जो कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले तय किए थे वे आगे भी जारी रहेंगे. 27 तारीख को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होगी. जो मांगे बाकी रह गई है उसके बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा.”

बलबीर सिंह ने कहा “हम प्रधानमंत्री को ओपन लेटर लिखेंगे. इसमें लंबित मांगों- एमएसपी समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020, किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी का उल्लेख किया जाएगा. इसेक साथ ही हम उन्हें लखमीपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने के लिए भी लिखेंगे.” उन्होंने बताया कि 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर किसान संसद तक मार्च करेंगे.

उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कई किसान संगठन एक साल से ज्यादा समय से राष्ट्रीय राजधानी की कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जबकि उत्तरी दिल्ली में सिंघू सीमा पर शिविर स्थल एसकेएम का मुख्यालय रहा है, जहां टिकैत ने पूर्वी दिल्ली में गाजीपुर सीमा पर डेरा डाला था.

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