Farmers Protest: किसानों ने फिर ठुकराया सरकार का प्रस्ताव, कानून वापसी पर अड़े

किसान नेता जोगिंदर एस उग्राहन ने कहा, "यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वे कानूनों को निरस्त नहीं करते.

किसान आंदोलन (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच किसान संगठनों ने सरकार की तरफ से बुधवार को दिए गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सयुंक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने बयान जारी कर कहा, ''आम सभा में सरकार द्वारा कल रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया. बुधवार को सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1.5 साल तक कानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है. किसान यूनियन और सरकार बात करके समाधान ढूंढ सकते हैं.

किसान नेता जोगिंदर एस उग्राहन (Joginder S Ugrahan) ने कहा, "यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वे कानूनों को निरस्त नहीं करते. सरकार के साथ कल की बैठक में हम कहेंगे कि हमारी केवल एक मांग है, कानूनों को निरस्त करना और कानूनी रूप से एमएसपी को अधिकृत करना. इन सभी को सर्वसम्मति से तय किया गया है. Farmers Protest: कृषि कानून वापस नहीं लेगी सरकार, किसानों को दिया गया अस्थायी रोक का प्रस्ताव.

इससे पहले गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच गुरुवार को हुई दूसरे चरण की बातचीत बेनतीजा रही. किसान नेता अपने इस रुख पर कायम रहे कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी रिंग रोड पर ही यह रैली निकाली जाएगी. बैठक के बाद 'स्वराज अभियान' के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस चाहती थी कि किसान अपनी ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर निकालें.

किसान नेता योगेंद्र ने कहा, "हम दिल्ली के भीतर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी परेड निकालेंगे. वे चाहते थे कि यह ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर हो, जो संभव नहीं है." अब हर किसी की निगाहें 26 जनवरी पर है, जिस दिन किसानों ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कही है.

बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. वे नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कारपोरेट घरानों की 'कृपा' पर रहना पड़ेगा. हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है.

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