Fact Check: क्या बिहार में मतदाताओं से ज्यादा वोट पड़े? जानें क्या कहता है चुनाव आयोग के आंकड़े
Representational Image | PTI

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में वोटरों से ज्यादा वोट डाले गए. पोस्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग (ECI) के आंकड़े दिखाते हैं कि राज्य में 7.42 करोड़ वोटर थे, लेकिन 7.45 करोड़ वोट पड़ गए. यह दावा “वोट घोटाले” की ओर इशारा करता है और चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है. लेकिन विस्तृत जांच में यह दावा पूरी तरह गलत और भ्रामक साबित होता है.

वायरल संदेश में दो मुख्य दावे किए गए. पहला बिहार में 42 करोड़ वोटर थे, लेकिन कथित तौर पर 7.45 करोड़ वोट डाले गए, जिसका मतलब है "एक्स्ट्रा वोट". दूसरा दावा यह किया गया कि EVM से पड़े वोटों और कुल गिने गए वोटों में भारी अंतर है, जो कथित हेराफेरी दिखाता है.

ये दोनों दावे चुनाव आयोग के डेटा की गलत व्याख्या पर आधारित हैं, जिसमें इलेक्टरेट (कुल पंजीकृत मतदाता) और वोट पोल्ड (पड़े वोट) को गड़बड़ करके पेश किया गया है.

7.45 करोड़ वाला आंकड़ा वोट नहीं, मतदाता की संख्या है

वायरल पोस्ट जिस 7,45,26,858 के आंकड़े को “पड़े हुए वोट” बता रहा है, वह वास्तव में चुनाव आयोग की प्रेस नोट में Electorate यानी कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या है.

ECI की 11 नवंबर 2025 वाली प्रेस नोट में यह संख्या स्पष्ट रूप से इलेक्टरेट कॉलम में दर्ज है, न कि “Votes Polled” के कॉलम में. इसलिए यह दावा कि 7.45 करोड़ वोट पड़े, पूरी तरह झूठा है. तो फिर 7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ मतदाता कैसे हो गए?

वायरल दावा पूरी तरह फेक

वायरल पोस्ट का एक और दावा है कि 7.42 करोड़ 30 सितंबर 2025 तक प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची में थे. 7.45 करोड़ 11 नवंबर 2025 को प्रेस नोट में दिखाए गए. यही अंतर गड़बड़ी बताकर फैलाया जा रहा है. लेकिन चुनाव आयोग के SIR नोट (30 सितंबर) में साफ लिखा है कि नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक मतदाता सूची में नाम जुड़ते रहते हैं. यानी SIR के बाद भी नई एंट्री होती रहती है.

इसलिए अतिरिक्त लगभग 3 लाख नए मतदाताओं का जुड़ना एक सामान्य प्रक्रिया है. इसमें किसी भी तरह की धांधली का सवाल ही नहीं उठता.

EVM बनाम कुल वोटों की गलतफहमी

वायरल पोस्ट में यह भी कहा गया कि “EVM से पड़े वोट 5 करोड़ थे, लेकिन कुल गिनती इससे अधिक है,” जिससे हेराफेरी का आरोप लगाया गया. यह गलत इसलिए है क्योंकि: कुल वोट में EVM वोटके साथ पोस्टल बैलेट के वोट भी गिने जाते हैं.

पोस्टल बैलेट में सर्विस वोटर्स, चुनाव अधिकारी, दूरस्थ मतदाता आदि के वोट शामिल होते हैं, जो स्वाभाविक रूप से EVM काउंट से अलग होते हैं.