Ministry of Railways on Train Accidents: भारतीय रेलवे में होने वाली दुर्घटनाओं को अक्सर तोड़फोड़ या साजिश से जोड़कर देखा जाता है. इस बीच रेलवे मंत्रालय ने यह साफ किया है कि पिछले दो सालों में हुई ज्यादातर दुर्घटनाओं के मुख्य कारण उपकरणों की विफलता, पर्यावरणीय कारक और मानव त्रुटियां रहे हैं. एक आरटीआई के जवाब में रेलवे मंत्रालय ने बताया कि रेल सुरक्षा आयुक्तों (CRS) द्वारा की गई जांचों के अनुसार, पिछले 10 सालों में दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट आई है. मंत्रालय ने वंदे भारत ट्रेनों की सुरक्षा रिकॉर्ड पर भी प्रकाश डाला, जिनमें 2019 से कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है. हालांकि, इन ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं जरूर सामने आई हैं.
यह जानकारी तब सामने आई है जब मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस दुर्घटना की जांच चल रही है. शुरुआती तकनीकी जांच में साजिश की आशंका जताई गई थी, लेकिन सेक्शन अधिकारियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची.
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के मुताबिक, तमिलनाडु में हुई घटना असामान्य लग रही है और ऐसे मामलों में अक्सर तकनीकी खामी या प्रणाली में गड़बड़ी की संभावना होती है. अब सवाल यह है कि यह हादसा सिस्टम की विफलता से हुआ या किसी बाहरी हस्तक्षेप का नतीजा था. रेलवे दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में 'उपकरणों की विफलता' तकनीकी खराबी से जुड़ी होती है. वहीं, 'मानव त्रुटि' का मतलब रेलवे कर्मचारियों, जैसे कि लोको पायलट या ग्राउंड स्टाफ द्वारा की गई गलतियों से है. इसमें सिग्नल पास्ड एट डेंजर (SPAD) जैसी घटनाएं शामिल होती हैं. ऐसा ही एक मामला कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ भी हुआ था, जहां मानव त्रुटि को दुर्घटना का कारण माना गया था.
'पर्यावरणीय कारक' का मतलब प्राकृतिक आपदाओं या घटनाओं से होता है. उदाहरण के लिए, तेज हवाओं से ओवरहेड उपकरण (OHE) को नुकसान पहुंचना या बाढ़ के कारण ट्रैक का नुकसान भी इसी श्रेणी में आता है.
मंत्रालय ने आरटीआई में पिछले 20 सालों के दुर्घटना आंकड़े भी पेश किए. ये आंकड़े दिखाते हैं कि 2002-03 में जहां 351 दुर्घटनाएं हुई थीं, वहीं 2023-24 में इनकी संख्या घटकर 40 रह गई. हालांकि, 2023-24 के दौरान 317 लोगों की मौत और 749 घायल होने के मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल के केवल 2 मौतों और 76 घायल के मुकाबले एक बड़ी बढ़ोतरी है.