दिल्ली विश्वविद्यालय में नहीं थम रहा में केरल के छात्रों के दाखिले को मुद्दा
दिल्ली विश्वविद्यालय (Photo Credits:PTI)

नई दिल्ली, 7 नवंबर: दिल्ली (Delhi) विश्वविद्यालय में केरल के छात्रों के दाखिले को लेकर लेकर विवाद बनता जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय में अभी तक केरल बोर्ड के करीब 2500 से अधिक छात्रों को दाखिला मिल चुका है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ( डूसू) और कुछ प्रोफेसर्स केरल बोर्ड के अंक देने की प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. पहली ही दिल्ली कटऑफ के आधार पर विश्वविद्यालय में केरल बोर्ड ऑफ हायर माध्यमिक शिक्षा के 2365 छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला मिल चुका है. 100 फीसदी कटऑफ से छात्र निराश, शिक्षा मंत्रालय नए रास्ते तलाश करे: Educationist

केरल बोर्ड से 6,000 से अधिक छात्रों ने सौ प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. सौ प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले इन छात्रों में से कई ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन किया है. केरल के छात्रों की अंक प्रणाली और दाखिला प्रक्रिया के खिलाफ डूसू ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. डूसू के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में केरल राज्य बोर्ड के छात्रों को दाखिला देने के लिए केवल 12वीं कक्षा के अंकों पर विचार करने का निर्णय गलत है.

छात्र संघ के अधिवक्ता आशीष दीक्षित के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में यह प्रविधान रहा है कि जो शिक्षा बोर्ड 11वीं और 12वीं कक्षा के अंको के आधार पर अंतिम मार्कशीट जारी करते हैं, उन छात्रों की योग्यता दोनों वर्षों के अंको के आधार पर निर्धारित की जाएगी. केरल बोर्ड भी 11 वीं व 12 वीं के संयुक्त अंक देता है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय ने निर्णय किया कि छात्रों को केवल 12वीं कक्षा के अंक भरने की आवश्यकता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के इसी निर्णय के खिलाफ छात्र अब कानूनी कार्रवाई की बात कह रहे हैं. छात्र संगठन 'एबीवीपी' ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को यह दाखिले रद्द करने को कहा है. एबीवीपी के सिद्धार्थ यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय कटऑफ में अनुचित वृद्धि पर कार्रवाई करें. अंक प्रतिशत की वजह से छात्रों के बीच असमानता आती है. दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सभी राज्य बोडरें के लिए अंकों के मॉडरेशन, सामान्यीकरण का एक तंत्र तैयार करें.

एबीवीपी का कहना है कि प्रवेश के लिए छात्रों की प्रारंभिक जांच करना आवश्यक है. गैर-जिम्मेदार प्रवेश प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही विश्वविद्यालय तय करें. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों का कहना है कि केरल राज्य शिक्षा बोर्ड ने 12वीं के अंक प्रदान करने में काफी ढिलाई बरती है. जिससे वहां हजारों छात्रों ने 100 फीसदी अंक हासिल किए हैं. इसी बात डीयू में छात्र संगठन, केरल के छात्रों को दिए जा रहे दाखिलों का विरोध कर रहे हैं.

हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय इन सभी आरोपों को खारिज कर रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता एक लिखित जानकारी के माध्यम से कह चुके हैं कि कि केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते, दिल्ली विश्वविद्यालय सभी को समान रूप से महत्व देता है. इस साल भी केवल योग्यता आधार पर आवेदन स्वीकार करके सबके लिए समान अवसर हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय का कहना है कि पक्षपात करने के संबंध में प्रसारित की जा रही खबरें निराधार हैं और वह इनका कड़ा खंडन और निंदा करता है.

रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा कि न केवल भारत भर से बल्कि विदेशों से आने वाले मेधावी छात्रों के साथ भी दिल्ली विश्वविद्यालय न्याय करें, यह हमारी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और अनुसंधान की लंबी विरासत है. इसके साथ ही एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते देशभर के छात्र हमारे कॉलेजों, विभागों व केंद्रों में अध्ययन करने की इच्छा रखते हैं. सभी के साथ न्याय और समानता बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.