NCERT New Update: 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कक्षा 9 से 11 के प्रदर्शन का होगा मूल्यांकन
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए एक नए मूल्यांकन मॉडल का सुझाव दिया है. एनसीईआरटी के PARAKH द्वारा जारी की गई नई रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 12 का मूल्यांकन छात्रों के कक्षा 9 से 11 के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा, जिसमें व्यावसायिक और कौशल-आधारित प्रशिक्षण भी शामिल होगा. 'एजुकेशन बोर्ड्स के बीच समकक्षता स्थापित करना' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कक्षा 9 से 11 के कुल प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाए.

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इस मॉडल के अनुसार, कक्षा 9 से 15 प्रतिशत, कक्षा 10 से 20 प्रतिशत, कक्षा 11 से 25 प्रतिशत और शेष 40 प्रतिशत अंक कक्षा 12 से लिए जाएंगे. रिपोर्ट में कक्षा 9 से 12 तक के मूल्यांकन की अंकन योजना पर भी प्रकाश डाला गया है. कक्षा 9 में 70 प्रतिशत अंक फॉर्मेटिव असेसमेंट (सतत मूल्यांकन) और 30 प्रतिशत समेटिव असेसमेंट (अंतिम मूल्यांकन) के आधार पर होंगे.

कक्षा 10 में फॉर्मेटिव और समेटिव असेसमेंट को 50-50 प्रतिशत का समान भार दिया जाएगा. कक्षा 11 में 40 प्रतिशत अंक फॉर्मेटिव और 60 प्रतिशत समेटिव असेसमेंट से होंगे, जबकि कक्षा 12 में 30 प्रतिशत अंक फॉर्मेटिव और 70 प्रतिशत समेटिव असेसमेंट के आधार पर होंगे.

PARAKH (परफॉरमेंस असेसमेंट, रिव्यू, और नॉलेज के समग्र विकास का विश्लेषण) एनसीईआरटी द्वारा शिक्षा मंत्रालय के तहत स्थापित एक नियामक केंद्र है. इस संस्था ने पहले भी भारत के सभी शैक्षिक बोर्डों में एक मानकीकृत मूल्यांकन दृष्टिकोण का समर्थन किया था. इसने पाठ्यक्रम में डाटा मैनेजमेंट, कोडिंग, एप्लिकेशन डेवलपमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, म्यूजिक, आर्ट्स, और क्राफ्ट्स जैसे व्यावसायिक और कौशल-आधारित विषयों को शामिल करने की सिफारिश की थी.

रिपोर्ट में शिक्षकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन और स्कूल के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है. इसमें पानी की उपलब्धता, अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालयों और पर्याप्त खेल सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है ताकि छात्रों के लिए एक अनुकूल और प्रभावी सीखने का वातावरण बनाया जा सके.

इस नए मूल्यांकन मॉडल के तहत छात्रों का समग्र विकास और उनकी कौशल दक्षता को प्राथमिकता दी जाएगी, जो पारंपरिक अंकों की दौड़ से परे एक व्यापक शिक्षा प्रणाली की दिशा में एक कदम है.