अमृतसर की बेटी Hissaa ने रचा इतिहास, 16 वर्षीय छात्रा को मुफ्त में NASA की यात्रा करने का मिला मौका, Astrophysicist बनने की है ख्वाहिश

पंजाब स्थित अमृतसर की एक 16 वर्षीय बेटी को नासा की मुफ्त यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. हिस्सा डीएवी पब्लिक स्कूल में कक्षा दसवीं की छात्रा हैं, जिन्हें इंटरनेशनल स्पेस ओलंपियाड यानी आईएसओ 2020 में टॉप करने के बाद नासा से यह दुर्लभ ऑफर मिला है. वह पढ़-लिखकर एक खगोल भौतिकीविद् बनना चाहती है.

नासा (Photo Credits: IANS)

अमृतसर: पंजाब (Punjab) स्थित अमृतसर (Amritsar) की एक 16 वर्षीय बेटी को नासा की मुफ्त यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. बेटी की इस उपलब्धि से उसके माता-पिता बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. दरअसल, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration) यानी नासा (NASA) से निमंत्रण मिलने के बाद अमृतसर की छात्रा हिस्सा अमेरिका में जॉन एफ कैनेडी स्पेस सेंटर (John F Kennedy Space Centre) के लिए उड़ान भरने को तैयार है. हिस्सा (Hissaa) डीएवी पब्लिक स्कूल में कक्षा दसवीं की छात्रा हैं, जिन्हें इंटरनेशनल स्पेस ओलंपियाड (International Space Olympiad) यानी आईएसओ 2020 में टॉप करने के बाद यह दुर्लभ ऑफर मिला है. हिस्सा ने प्रीलिम्नरी इंटरमीडिएट और फाइनल टेस्ट में सामूहिक रूप से 78.75 फीसदी अंक हासिल किए.

यहां हैरानी की बात तो यह है कि हिस्सा न केवल सीनियर कैटेगरी में इस पद को सुरक्षित करने वाली भारत की पहली छात्रा हैं, बल्कि उसने बिना किसी कोचिंग के अपनी मेहनत के दम पर इस उपलब्धि को हासिल किया है. आधिकारिक पुष्टि मिलने के बाद नासा की यात्रा करने का हिस्सा का यह सपना साकार हो गया है. वह पढ़-लिखकर एक खगोल भौतिकीविद् (astrophysicist) बनना चाहती है. हिस्सा का कहना है कि उसने भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा सिंगापुर और स्विटजरलैंड के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा की और उसमें पहला स्थान हासिल किया.

हिस्सा की मानें तो इसके लिए उसने सितंबर 2019 में रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों के चलते फर्स्ट राउंड की परीक्षा का आयोजन जनवरी में किया गया. इसके बाद जून में दूसरे चरण की परीक्षा रखी गई और अगस्त में फाइनल हुआ. अब वो परिस्थियों के अनुकूल होने का बेसब्री से इंतजार कर रही है, ताकि वो अपने ड्रीम डेस्टिनेशन नासा सेंटर का दौरा कर सके. यह भी पढ़ें: गर्व की बात: भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी ने दिया नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर को नाम

हिस्सा अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पिता सवजिंदर पाल सिंह और माता कमलप्रीत कौर को देती हैं. उसके पिता एक इंजीनियर हैं, जबकि मां एक सरकार स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं. अपने माता-पिता को इस कामयाबी का श्रेय देते हुए हिस्सा ने कहा कि इंजीनियरिंग का बैकग्राउंड होने के कारण मेरे पिता ने मुझे विज्ञान की बारीकियां सिखाई और मेरी मां ने यह सुनिश्चित किया कि मुझे एस्ट्रोनॉमी में सबसे अच्छा ज्ञान मिले.

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