ईडी ने 3,986 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में सुराणा ग्रुप के 4 लोगों को किया गिरफ्तार
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 14 जुलाई : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने चेन्नई स्थित सुराणा ग्रुप ऑफ कंपनीज द्वारा कथित तौर पर 3,986 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारियां 12 जुलाई को की गईं. आरोपियों की पहचान दिनेश चंद सुराणा और विजय राज सुराणा के रूप में हुई, दोनों सुराना इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुराणा पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सह प्रमोटर और सुराणा कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रमोटर और पी. आनंद और आई. प्रभाकरन, मुखौटा कंपनियों के डमी निदेशक थे. ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज तीन प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की.

आरोप यह था कि इन तीन कंपनियों ने अपने प्रमोटरों, प्रबंध निदेशक, निदेशकों और अज्ञात व्यक्तियों के साथ, फर्जी संस्थाओं के माध्यम से धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात, खातों की किताबों में हेरफेर में लिप्तता और शेल कंपनियों के माध्यम से धन को स्थानांतरित कर दिया था और बंद कर दिया था. कंपनी के खातों से उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए धन, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 3,986 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ईडी को जांच के दौरान पता चला कि इन लोगों द्वारा मुखौटा कंपनियों का एक जाल बनाया गया था, जिसमें इन मुखौटा कंपनियों के डमी निदेशक या तो रिश्तेदार, सुराणा परिवार के पैतृक गांव के व्यक्ति या सुराणा समूह की कंपनियों के कर्मचारी थे. यह भी पढ़ें : Chhattisgarh: महानदी में नहाने के दौरान बहे युवकों को गोताखोरों ने बचाया, 1 बीच नदी में फंसा तो 2 अभी भी लापता

समूह की तीन मुख्य कंपनियों के लेन-देन उन नकली, मुखौटा कंपनियों के माध्यम से किए गए थे और उसके बाद पैसे को अन्य उद्देश्यों के लिए ले जाया गया था, जिसमें लेयरिंग के माध्यम से संपत्तियां खरीदना और उन मुखौटा कंपनियों के नाम पर बेनामी संपत्तियां भी शामिल थीं. ईडी ने कहा, "इन सिंगापुर स्थित कंपनियों द्वारा भारतीय संस्थाओं द्वारा निर्यात किए गए सामानों की बिक्री के माध्यम से पैसा उत्पन्न किया गया था. हालांकि, इन भारतीय संस्थाओं ने बाद में भारत में खातों की किताबों में प्राप्तियों को बट्टे खाते में डाल दिया."

ईडी को यह भी पता चला कि इन तीन मुख्य समूह की कंपनियों से शेल कंपनियों और उक्त शेल कंपनियों से प्रमोटरों और उनकी पत्नियों के व्यक्तिगत खातों में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे. गिरफ्तार किए गए सभी चार व्यक्तियों को प्रधान सत्र न्यायाधीश न्यायालय, चेन्नई के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले में आगे की जांच जारी है.