नागपुर, 5 अक्टूबर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने देश में महिला सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत की है और कहा है कि पुरुष और महिला हर पहलू और सम्मान में समान हैं, उनमें समान क्षमताएं हैं. यहां के विशाल रेशमबाग मैदान में बुधवार को पारंपरिक विजयदशमी समारोह पर आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि महिलाओं को जगत जननी (ब्रह्मांड की मां) के रूप में माना जाता है, लेकिन घर पर उन्हें गुलाम माना जाता है.
उन्होंने कहा, महिलाओं के सशक्तिकरण की शुरुआत घर से होनी चाहिए और उन्हें समाज में उनका उचित स्थान मिलना चाहिए. भागवत ने भारत के एक बार फिर 'विश्वगुरु' (विश्व नेता) बनने के सपने को साकार करने में महिलाओं की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "अगर हम विश्वगुरु भारत का निर्माण करना चाहते हैं तो महिलाओं की समान भागीदारी भी जरूरी है." आरएसएस प्रमुख महिला सशक्तिकरण पर अपने मुख्य अतिथि पद्मश्री संतोष यादव के सामने बोल रहे थे, जो एक प्रशंसित पर्वतारोही हैं, जिन्हें विजयादशमी समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था, आरएसएस के 97 साल पुराने इतिहास में इस तरह के कार्यक्रम के लिए पहली महिला मुख्य अतिथि थीं. यह भी पढ़ें : नीतीश सरकार ने अति पिछड़ों को धोखा दिया, भाजपा नीतीश का पुतला फूंकेगी: सम्राट चौधरी
उन्होंने याद दिलाया, "यह पहली बार नहीं था कि आरएसएस के समारोह में एक महिला को आमंत्रित किया गया था, अनुभवी कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अमृता कौर और नागपुर से पहली लोकसभा सदस्य अनुसुबाई काले और अन्य को भी आरएसएस के कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया था. भारत कोविड के कारण आए आर्थिक संकट से अब तेजी से उबर रहा है और श्रीलंका के राजनीतिक संकट और यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत की भूमिका प्रशंसनीय रही है." भागवत ने कहा, "इन दो स्थितियों के कारण दुनिया में हमारा राजनीतिक वजन बढ़ गया है. अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के साथ संवाद जारी रहेगा और यह वर्षो से चल रहा है. हिंसक घटनाओं की देश के प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने भी निंदा की है." भागवत ने कहा, "हम शांति और सद्भाव से रहने के पक्ष में हैं."