Delhi Air Pollution: पॉल्यूशन कंट्रोल को लेकर दिल्ली में लगी कई पाबंदी, दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों से निर्माण गतिविधियों में शामिल दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है.

Delhi Air Pollution | PTI

नयी दिल्ली, 19 नवंबर: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों से निर्माण गतिविधियों में शामिल दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू होने से उन्हें डर है कि उनके लिए अपने बच्चों की खातिर भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाएगा.

Artificial Rain: क्या होती है क्लाउड सीडिंग, दिल्ली में कैसे होगी आर्टिफिशियल बारिश, समझें इसके पीछे का साइंस.

राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यू) 450 के पार जाने और ‘अत्यधिक गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद प्राधिकारियों ने दिल्ली में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू किए हैं, जिनमें निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध शामिल है.

दिहाड़ी मजदूर सुमन (45) कहती हैं, “अगर हम घर बैठ जाएंगे, तो हम खाएंगे क्या? हम अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे?” दो बच्चों की मां सुमन ने सरकारी मदद पाने की उम्मीद में हाल ही में अपने श्रमिक कार्ड का नवीनीकरण कराया था, लेकिन उनका कहना है कि इससे कोई फायदा नहीं मिला.

सुमन ने कहा, “हमारे पास सरकारी नौकरी नहीं है कि वेतन मिलता रहेगा. हम दिहाड़ी पर निर्भर हैं, और काम के बिना हमारे पास कुछ भी नहीं है.” दिल्ली में मंगलवार को धुंध की मोटी परत छाई रही और एक्यूआई 488 दर्ज किया गया.

निर्माण श्रमिक बाबूराम (63) के मुताबिक, वह पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं और निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध ने उनकी माली हालत और खराब कर दी. बाबूराम पर अपनी पत्नी, बेटे व बहू के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है. उनके सिर पर तीन लाख रुपये का कर्ज भी है.

बाबूराम ने कहा, “मेरे जैसे लोगों के लिए कोई पेंशन नहीं है. लाडली बहना जैसी योजनाएं भ्रष्टाचार से घिरी हुई हैं, बिचौलिए सब कुछ ले लेते हैं और हमें कुछ नहीं मिलता. अगर मैं काम नहीं करूंगा, तो मेरे परिवार के लिए रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.”

निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध से राजेश कुमार (42) की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. राजेश के मुताबिक, बिहार में उनका परिवार दो वक्त की रोटी के लिए उस पैसे पर निर्भर है, जो वह घर भेजते हैं. राजेश ने कहा, “मैंने अभी तक शादी नहीं की है, क्योंकि मुझ पर कई जिम्मेदारियां हैं. मेरी बहन की शादी के लिए मुझे कर्ज लेना पड़ा. मेरे सिर पर छह लाख रुपये का कर्ज है.”

उन्होंने कहा, “यह हर साल होता है. प्रदूषण के कारण दिल्ली बुरी तरह से प्रभावित होती है. लेकिन सरकार समस्या का समाधान करने के बजाय हम जैसे लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ा देती है.”

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\