दिल्ली में ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में 27% की बढ़ोतरी, 6 महीने में 12468 लोग शराब पीकर गाड़ी चलाने के दोषी

दिल्ली में ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. इस साल के पहले छह महीनों में पिछले साल की तुलना में ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में 27% की बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा शनिवार को जारी किए गए नए डेटा के मुताबिक, इस साल 1 जनवरी से 30 जून के बीच 12,468 लोगों को शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में दोषी पाया गया है. वहीं, 2023 में इसी अवधि में 9,837 लोगों को दोषी पाया गया था.

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 100 मिलीलीटर खून में 30 ग्राम से ज़्यादा शराब होने पर गाड़ी चलाता पाया जाता है, तो उसे जुर्माना, कैद या दोनों सजा हो सकती है.

ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि 2024 की पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में बढ़ोतरी चिंताजनक है और इस स्थिति पर काम करने की ज़रूरत है.

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) एचजीएस धालीवाल ने बताया कि उन्होंने 2024 में सबसे ज़्यादा चलान किए जाने वाले टॉप 10 ट्रैफिक सर्कल का विश्लेषण किया है.

उन्होंने कहा "यह विश्लेषण उन क्षेत्रों पर रोशनी डालता है जहां ट्रैफिक उल्लंघन सबसे ज़्यादा हैं, जिससे सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक कानूनों के पालन को बेहतर बनाने के लिए लक्षित कार्रवाई की जा सकती है. शराब पीकर गाड़ी चलाने से न सिर्फ़ चालक को खतरा होता है बल्कि यात्रियों, पैदल यात्रियों और अन्य वाहनों को भी खतरा होता है. शराब से मानसिक स्थिति खराब होती है, प्रतिक्रिया का समय धीमा हो जाता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है जिससे चोट या मौत हो सकती है. ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में बढ़ोतरी को देखते हुए हमने शराब पीकर गाड़ी चलाने पर रोक लगाने के लिए अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है. सख्त कार्रवाई किए जा रहे हैं, जिसमें बढ़े हुए चेक और ब्रेथ-एनालिसिस टेस्ट शामिल हैं, ताकि लोगों को इस खतरनाक व्यवहार से रोका जा सके."

उन्होंने आगे कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाने के खतरों को समझना और ऐसा न करना ज़रूरी है. "हम शराब पीकर गाड़ी चलाने के ख़िलाफ़ जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदाय की भागीदारी पर भी ज़ोर दे रहे हैं. नागरिकों से अपील है कि वे शराब पीकर गाड़ी चलाने के किसी भी मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दें, ताकि हम सब मिलकर सबके लिए सुरक्षित सड़कें बना सकें." धालीवाल ने कहा.

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में बढ़ोतरी चिंताजनक है. "कम्युनिटी अगेन्स्ट ड्रंकन ड्राइविंग" के संस्थापक प्रिंस सिंहल ने कहा कि पिछले साल शराब की बिक्री में 14% की बढ़ोतरी हुई है और इसका सीधा नतीजा ड्रिंक एंड ड्राइव केसों में बढ़ोतरी के रूप में सामने आ रहा है.

उन्होंने कहा "27% की बढ़ोतरी बहुत खतरनाक है, खासकर जब हम अभी छमाही के आंकड़े देख रहे हैं. इस बढ़ोतरी के कारण स्पष्ट हैं और काफी समय से हल नहीं हो पा रहे हैं. ड्रिंक एंड ड्राइव पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई अनियमित है और सिर्फ़ वीकेंड या रात में ही की जाती है. दिन में या सोमवार से गुरुवार की रात में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का क्या होता है? अगर एक बार ड्रिंक एंड ड्राइव करने वालों को पकड़ा नहीं जाता है, तो वे बार-बार ऐसा करते रहते हैं."

उन्होंने आगे कहा कि शराब की दुकानों/बार और पब में उम्र की जांच ज़रूरी नहीं है जिसकी वजह से नाबालिग शराब पीते हैं और यह समस्या का एक बड़ा हिस्सा है. सिंहल ने कहा - "ये युवा वयस्क अपनी शराब की सीमा के बारे में जानकार नहीं होते हैं और ख़तरा उठाने का उनका रूझान अक्सर दुर्घटनाओं और चोटों का कारण बनता है. चूंकि बहुत से नाबालिग शराब पीने के लिए कोई जगह नहीं ढूंढ पाते हैं, इसलिए कार या गाड़ी उनका साफ़ विकल्प बन जाता है."

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति 100 मिलीलीटर खून में 30 ग्राम से ज़्यादा शराब होने पर गाड़ी चलाता पाया जाता है, तो उसे जुर्माना, कैद या दोनों सजा हो सकती है.